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यहां जानिए कैसे होती है मशरूम की खेती, किसान कमाएंगे लाखों का मुनाफा

भारत में अब मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. आज बिना इसकी सब्जी के कोई भी प्रोग्राम पूरा नहीं माना जाता है.

भारत में अब मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. आज बिना इसकी सब्जी के कोई भी प्रोग्राम पूरा नहीं माना जाता है.

मशरूम की खेती

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मशरूम के कई प्रकार होते हैं, भारत में अच्छी कमाई के लिए किसान सफेद बटर मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम उगा रहे हैं.
मशरूम के कई प्रकार होते हैं, भारत में अच्छी कमाई के लिए किसान सफेद बटर मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम उगा रहे हैं.
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आपको चाहिए कि मशरूम की खेती के लिये उन किस्मों का चुनाव करें, जो कम समय में ही अच्छा मुनाफा दे सकें. इसके अलावा नजदीकी बाजार में मांग के हिसाब से भी मशरूम उत्पादन कर सकते हैं. इस वक्त पूरी दुनिया में कृषियोग्य मशरूम की 70 किस्में पाई जाती हैं.
आपको चाहिए कि मशरूम की खेती के लिये उन किस्मों का चुनाव करें, जो कम समय में ही अच्छा मुनाफा दे सकें. इसके अलावा नजदीकी बाजार में मांग के हिसाब से भी मशरूम उत्पादन कर सकते हैं. इस वक्त पूरी दुनिया में कृषियोग्य मशरूम की 70 किस्में पाई जाती हैं.
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हालांकि, भारत में अच्छे और मोटे मुनाफे के लिये सफेद बटर मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम की किस्में उगाई जा रही हैं.
हालांकि, भारत में अच्छे और मोटे मुनाफे के लिये सफेद बटर मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम की किस्में उगाई जा रही हैं.
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मशरूम की खेती का सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसके लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं, बल्कि प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, धान और गेहूं का भूसा इसे उगाने के लिए काफी है. अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले छोटी जगह पर शेड़ लगाकर उसे लकड़ी और जाल से कवर कर के उदाहरण के तौर पर ऐसा कर के देख सकते हैं.
मशरूम की खेती का सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसके लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं, बल्कि प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, धान और गेहूं का भूसा इसे उगाने के लिए काफी है. अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले छोटी जगह पर शेड़ लगाकर उसे लकड़ी और जाल से कवर कर के उदाहरण के तौर पर ऐसा कर के देख सकते हैं.
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वहीं अगर आप इसे घर में उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलकार रख लें. फिर कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज को डालें और इसमें छोटे-छोट छेद कर दें, इन्हीं छेदों की मदद से मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल आएंगे.
वहीं अगर आप इसे घर में उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलकार रख लें. फिर कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज को डालें और इसमें छोटे-छोट छेद कर दें, इन्हीं छेदों की मदद से मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल आएंगे.
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हालांकि, इस बात का आपको खास ध्यान रखना होगा कि बीज डालने के 15 दिनों बाद तक शेड में हवा ना लगे. फिर बुआई के 15 दिन बाद  शेड में पखें लगा दें और हवा का प्रवाह होने दें. इसके बाद 30-40 दिनों तक मशरूम की फसल को पकने दें.
हालांकि, इस बात का आपको खास ध्यान रखना होगा कि बीज डालने के 15 दिनों बाद तक शेड में हवा ना लगे. फिर बुआई के 15 दिन बाद शेड में पखें लगा दें और हवा का प्रवाह होने दें. इसके बाद 30-40 दिनों तक मशरूम की फसल को पकने दें.

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