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Agri Machinery: इन 5 आधुनिक कृषि उपकरणों से कई गुना आसान बनाएं अपनी खेती.....पैसा, समय और मेहनत सब बच जाएगा

Farm Machinery: ये वही कृषि मशीनें हैं, जो कई दिनों का काम कुछ ही घंटों में निपटा देती हैं. सरकार भी इन उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

Farm Machinery: ये वही कृषि मशीनें हैं, जो कई दिनों का काम कुछ ही घंटों में निपटा देती हैं. सरकार भी इन उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

खेती से जुड़े हर काम को आसान बना देंगे ये 5 कृषि उपकरण

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Agriculture Machinery: किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खेती की लागत को कम करना. जब खेती में मेहनत, समय और धन की बचत होगी, तब ही किसान मुनाफा कमा पाएंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ा जा रहा है. कई ऐसी तकनीकें इजाद की गई है, जो कम समय में ही बेहतर उत्पादन देती हैं. वहीं अब खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिल रहा है. वैसे तो खेती के लगभग हर काम के लिए एक्सपर्ट्स ने कृषि यंत्र बनाए है, लेकिन आज हम आपको उन 5 प्रमुख कृषि यंत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बड़े पैमाने पर खेती करने वाले किसानों के पास हों तो आमदनी के साथ-साथ मुनाफा भी डबल हो सकता है.
Agriculture Machinery: किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खेती की लागत को कम करना. जब खेती में मेहनत, समय और धन की बचत होगी, तब ही किसान मुनाफा कमा पाएंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ा जा रहा है. कई ऐसी तकनीकें इजाद की गई है, जो कम समय में ही बेहतर उत्पादन देती हैं. वहीं अब खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिल रहा है. वैसे तो खेती के लगभग हर काम के लिए एक्सपर्ट्स ने कृषि यंत्र बनाए है, लेकिन आज हम आपको उन 5 प्रमुख कृषि यंत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बड़े पैमाने पर खेती करने वाले किसानों के पास हों तो आमदनी के साथ-साथ मुनाफा भी डबल हो सकता है.
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ट्रैक्टर इन दिनों ट्रैक्टर को किसान की शान मानते है. पहले बैलगाड़ी ही किसान की असली सवारी होती थी, जिससे खेती से लेकर ढुलाई तक का काम हो जाता था. इसी तरह ट्रैक्टर के साथ किसी भी कृषि उपकरणों या ट्रॉली को जोड़कर कृषि कार्यों को आसान बना सकते हैं. चाहे खेत की तैयारी हो, बुवाई, छिड़काव, कटाई या मंडी के लिए उपज की ढुलाई, ये सभी काम ट्रैक्टर की मदद से कई गुना आसान हो जाते हैं. इन दिनों बाजार में 2 WD और 4 WD वेरिएंट के ट्रैक्टर काफी प्रचलन में है, हालांकि HP और PTO के आधार पर भी ट्रैक्टर की कई श्रेणियां है. ये पूरी तरह से किसान के बजट और जरूरत पर है कि वो किस श्रेणी का ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं.
ट्रैक्टर इन दिनों ट्रैक्टर को किसान की शान मानते है. पहले बैलगाड़ी ही किसान की असली सवारी होती थी, जिससे खेती से लेकर ढुलाई तक का काम हो जाता था. इसी तरह ट्रैक्टर के साथ किसी भी कृषि उपकरणों या ट्रॉली को जोड़कर कृषि कार्यों को आसान बना सकते हैं. चाहे खेत की तैयारी हो, बुवाई, छिड़काव, कटाई या मंडी के लिए उपज की ढुलाई, ये सभी काम ट्रैक्टर की मदद से कई गुना आसान हो जाते हैं. इन दिनों बाजार में 2 WD और 4 WD वेरिएंट के ट्रैक्टर काफी प्रचलन में है, हालांकि HP और PTO के आधार पर भी ट्रैक्टर की कई श्रेणियां है. ये पूरी तरह से किसान के बजट और जरूरत पर है कि वो किस श्रेणी का ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं.
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रोटावेटर खेती में जुताई जैसे कामों को निपटाने के लिए रोटावेटर का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इस उपकरण को ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाते हैं, जिससे खेत की एक या दो जुताई लगाकर मिट्टी को तैयार कर सकते हैं. इन दिनों फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी रोटावेटर का काफी इस्तेमाल हुआ है. ये मिट्टी में जमे हुए फसल अवशेषों को खेत में फैला देता है. बाद में यही अवशेष मिट्टी के अंदर खाद का काम करते हैं. बैलों की मदद से खेत की जुताई करने में काफी समय लग जाता है. ऐसे रोटावेटर का इस्तेमाल करके 15 से 35 प्रतिशत ईंधन, समय और मेहनत बचा सकते हैं.
रोटावेटर खेती में जुताई जैसे कामों को निपटाने के लिए रोटावेटर का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इस उपकरण को ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाते हैं, जिससे खेत की एक या दो जुताई लगाकर मिट्टी को तैयार कर सकते हैं. इन दिनों फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी रोटावेटर का काफी इस्तेमाल हुआ है. ये मिट्टी में जमे हुए फसल अवशेषों को खेत में फैला देता है. बाद में यही अवशेष मिट्टी के अंदर खाद का काम करते हैं. बैलों की मदद से खेत की जुताई करने में काफी समय लग जाता है. ऐसे रोटावेटर का इस्तेमाल करके 15 से 35 प्रतिशत ईंधन, समय और मेहनत बचा सकते हैं.
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सीड ड्रिल कम फर्टिलाइजर मशीन सीड ड्रिल मशीन कम फर्टिलाइजर मशीन भी टैक्टर के साथ जोड़कर चलाई जाती है. इससे खेत में बीजों की बुवाई, साथ में उर्वरक को डाल सकते हैं. सीड ड्रिल मशीन से बुवाई कतारों में होती है, जिससे बाद में फसल की निगरानी आसान हो जाती है. वहीं इसकी मदद से उर्वरकों का इस्तेमाल भी एक निश्चित अनुपात में कर सकते हैं. अगर किसान के पास बुवाई के लिए समय कम है, या खेती की जमीन बड़ी है, तो सीड ड्रिल मशीन आपके कई कामों को आसान बना देगी.
सीड ड्रिल कम फर्टिलाइजर मशीन सीड ड्रिल मशीन कम फर्टिलाइजर मशीन भी टैक्टर के साथ जोड़कर चलाई जाती है. इससे खेत में बीजों की बुवाई, साथ में उर्वरक को डाल सकते हैं. सीड ड्रिल मशीन से बुवाई कतारों में होती है, जिससे बाद में फसल की निगरानी आसान हो जाती है. वहीं इसकी मदद से उर्वरकों का इस्तेमाल भी एक निश्चित अनुपात में कर सकते हैं. अगर किसान के पास बुवाई के लिए समय कम है, या खेती की जमीन बड़ी है, तो सीड ड्रिल मशीन आपके कई कामों को आसान बना देगी.
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स्प्रेयर मशीन स्प्रेयर मशीन से फसल पर पेस्टीसाइड और लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव आसान हो जाता है. इस स्प्रेयर मशीन को कमर पर किसी बैग की तरह पहल सकते हैं. इशमें एक टंकी लगी होती है, जिसमें छिड़काव के लिए कीटनाशक और लिक्विड उर्वरक डालते हैं. साथ ही इसमें एक हैंज स्प्रेयर भी होता है, जिससे पूरी फसल पर छिड़काव हो जाता है. कुछ स्प्रेयर ऑटोमैटिक होते हैं, जो बैटरी से चलते हैं. वहीं कुछ को हाथ से ही चलाना पड़ता है. ये फसल की तमाम जरूरतों को पूरा करते हैं. किसानों को अपने बजट के हिसाब से एक स्प्रेयर मशीन तो जरूर खरीदनी चाहिए.
स्प्रेयर मशीन स्प्रेयर मशीन से फसल पर पेस्टीसाइड और लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव आसान हो जाता है. इस स्प्रेयर मशीन को कमर पर किसी बैग की तरह पहल सकते हैं. इशमें एक टंकी लगी होती है, जिसमें छिड़काव के लिए कीटनाशक और लिक्विड उर्वरक डालते हैं. साथ ही इसमें एक हैंज स्प्रेयर भी होता है, जिससे पूरी फसल पर छिड़काव हो जाता है. कुछ स्प्रेयर ऑटोमैटिक होते हैं, जो बैटरी से चलते हैं. वहीं कुछ को हाथ से ही चलाना पड़ता है. ये फसल की तमाम जरूरतों को पूरा करते हैं. किसानों को अपने बजट के हिसाब से एक स्प्रेयर मशीन तो जरूर खरीदनी चाहिए.
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थ्रैसर मशीन थ्रैसर मशीन से फसल की कटाई को एक ही दिन में निपटा सकते हैं. ये उपकरण भी ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चला सकते हैं, जो अनाज को काटकर भूसी और दाना अलग करता है. भारत में सोयाबीन, गेहूं, मटर, मक्का, समेत तमा अनाज और बीज वाली फसल की कटाई के लिए थ्रैसर का इस्तेमाल हो रहा है. ये मशीन कटाई के लिए मजदूरों पर निर्भरता कम करती है, जिससे धन की बचत होती है.  किसानों को कस्टम हायरिंग केंद्र से थ्रैसर किराए पर भी दिया जाता है. इसमें ड्राइव पुली, फैन/ब्लोअर, स्पाइक्स, सिलेंडर, अवतल, फ्लाईव्हील, फ्रेम, टोइंग हुक, ऊपरी छलनी, निचली छलनी, ट्रांसपोर्ट व्हील, सस्पेंशन लीवर, कैन पुली, शटर प्लेट लगी होती हैं, जिससे कटाई के साथ-साथ दाना अलग करना भी आसान हो जाता है.
थ्रैसर मशीन थ्रैसर मशीन से फसल की कटाई को एक ही दिन में निपटा सकते हैं. ये उपकरण भी ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चला सकते हैं, जो अनाज को काटकर भूसी और दाना अलग करता है. भारत में सोयाबीन, गेहूं, मटर, मक्का, समेत तमा अनाज और बीज वाली फसल की कटाई के लिए थ्रैसर का इस्तेमाल हो रहा है. ये मशीन कटाई के लिए मजदूरों पर निर्भरता कम करती है, जिससे धन की बचत होती है. किसानों को कस्टम हायरिंग केंद्र से थ्रैसर किराए पर भी दिया जाता है. इसमें ड्राइव पुली, फैन/ब्लोअर, स्पाइक्स, सिलेंडर, अवतल, फ्लाईव्हील, फ्रेम, टोइंग हुक, ऊपरी छलनी, निचली छलनी, ट्रांसपोर्ट व्हील, सस्पेंशन लीवर, कैन पुली, शटर प्लेट लगी होती हैं, जिससे कटाई के साथ-साथ दाना अलग करना भी आसान हो जाता है.

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