आप जिस बारिश को राहत समझ रहे हैं...इसी बारिश से बर्बाद हो गए किसान, तस्वीरें देख निकल पड़ेंगे आंसू
खेती-किसानी पूरी तरह से मौसम पर आधारित है. पिछले कुछ सालों से जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि पर भी अनश्चितताएं हावी हो रही हैं. बेमौसम बारिश, आंधी, ओलावृष्टि ने किसानों को काफी क्षति पहुंचाई है. मार्च के शुरुआती सप्ताह से चालू हुई बारिश ने पहले खेतों में खड़ी रबी फसलों को नुकसान पहुंचाया.
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View In Appएक तरफ गेहूं का दाना सिकुड़ गया है तो वहीं कई इलाकों सरसों के दाने खेत में ही झड़ गए. पिछले साल खरीफ सीजन में नुकसान झेलने वाले किसानों को रबी सीजन से काफी उम्मीदें थी, जो अब बारिश में धराशाही हो गई हैं. ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो 30-31 मार्च को मौसम में बदलाव से यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में कटी हुई फसलें खेतों में ही पड़े-पड़े गल गईं.
बिहार में कृषि विशेषज्ञों ने 10 अप्रैल तक मूंग और उड़द की बुवाई करने की सलाह दी है. कई किसानों ने अपने खेतों में इन दलहनी फसलों की बुवानी कर भी दी थी, लेकिन बारिश पड़ने से किसानों की सारी मेहनत बर्बाद हो गई. अब किसानों को दोबारा से खेत की तैयारी करनी होगी. बीज खरीदकर दोबारा बुवाई का काम करना पड़ेगा.
हरियाणा कृषि विभाग ने भी माना है कि कई जिलों में हजारों एकड़ फसल में 50 से 100 फीसदी नुकसान हुआ है. तेज आंधी और बारिश ने गेहूं की फसल को खेतों में बिछा दिया है. ये खतरा अभी चला नहीं है.राज्य में 3 अप्रैल तक येलो अलर्ट जारी हुआ है.फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन कर ई क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन करने को कहा गया है.
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए इस बार की बारिश आफत साबित हुई. मार्च के महीने में लगातार 3 बार गरज के साथ बादल बरसे. कई जगहों पर ओलावृष्टि हुई. हजारों किसानों की 33 फीसदी फसलें पहले ही बर्बाद हो गई थीं. लेकिन 30-31 मार्च की बारिश ने किसानों को बड़े आर्थिक संकट में डाल दिया है. कई जिलों में दोबारा फसल नुकसान सर्वेक्षण के आदेश जारी किए गए हैं.
यूपी कृषि विभाग की मानें तो मार्च के आखिरी 2 दिनों में हुई बारिश के कारण कई इलाकों में पकी सरसों, मसूर, मटर, चना की फसलें खेतों में ही झड़ गई हैं. इसके अलावा,धनिया, आलू और कई सब्जी फसलों में भी नुकसान देखा गया है.
उधर खेतों में बारिश ने तबाही मचाई. इधर किसानों को बाजार में भी अपनी उपज के दाम पाने में मशक्कत करनी पड़ रही है. छत्तीसगढ़ में टमाटर की फसल जल्दी पककर मंडियों में पहुंच गई. टमाटर का स्टॉक इतना बढ़ गया है कि किसानों को सही लाभ ही नहीं मिल पा रहा.
बिगड़ते मौसम के कारण खेतों में लगी सब्जी फसलों में भी अब कीटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. मौसम में लगातार नमी और बारिश जैसी स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते किसानों छिड़काव भी नहीं कर पा रहे.
जाहिर है कि खेती-किसानी ही हमारे अन्नदाताओं की आजीविका का एक मात्र जरिया है. इसी से किसानों की गृहस्थी चलती है. इसी किसानों को बच्चों की पढ़ाई और शादी आदि का खर्चे पूरे होते हैं. अच्छी फसल किसानों के लिए खुशहाली ले आती है, लेकिन मौसम की बे-रहमी कई महीनों और कई सालों की मेहनत को चंद दिनों में बर्बाद कर जाती है.
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