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Nano Urea: यूरिया की कुछ ही बूदों से डबल होगा फसलों का उत्पादन, यहां जानिये कैसे

नैनो यूरिया (फाइल तस्वीर)
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फसलों तक नाइट्रोजन की पूर्ति करने और पोषण पहुंचाने के लिये नैनो तरल यूरिया का छिड़काव खेतों में किया जाने लगा है. ये दुनिया का पहला तरल यूरिया है, जिसका आविष्कार भारत के ही कृषि वैज्ञानिकों ने किया है.
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तरल नैनो का छिड़काव सीधा पौधे पत्तियों पर किया जाता है, जिससे कोई हानि नहीं है, बल्कि पौधों की बढ़वार तेजी से होती है. वहीं पुराने पाउडर उर्वरक या दानेदार यूरिया से खेतों में प्रदूषण बढ़ता है और यूरिया का पूरा पोषण भी फसलों को नहीं मिल पाता.
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तरल यूरिया के इस्तेमाल से पोषण की बर्बादी नहीं होती. इसका इस्तेमाल उर्वरक के बेहतर विकल्प के रूप में किया जाता है, जिससे मिट्टी और हवा की क्वालिटी में सुधार होता है और फसलों के उत्पादक के साथ-साथ उत्पादकता में भी वृद्धि होती है.
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तरल नैनों यूरिया का स्टोरेज भी बहुत आसान होता है. जहां दानेदार यूरिया की बोरिया को ढो कर लाना, इनके लिये जगह का प्रबंध करना और महंगाई के दौर में इनकी खरीददारी मुश्किल हो जाती है. वहीं तरल नैनो यूरिया की 500 मिली की बोतल सिर्फ 240 रुपये में आती है, जिसे स्टोर करना और इस्तेमाल करना दोनों ही आसान और सुरक्षित है.
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नैनो यूरिया को बनाने में 100 प्रतिशत घुलनशील उर्वरकों और हेल्दी कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है. ये पूरी तरह जहर मुक्त है, लेकिन छिड़काव के समय मास्क और दस्ताने पहनने की सलाह दी जाती है. नैनो यूरिया को जानवर और बच्चों की पहुंच से दूर ठंडी और सूखी जगह पर ही रखना चाहिये.
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नैनो यूरिया की मात्र 2-4 मिली लीटर मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल पर छिड़कते हैं, जो नाइट्रोजन की कमी वाली फसलों के लिये अमृत का काम करता है. खासकर, दलहनी, तिलहनी, अनाज, कपास, फल और सब्जी फसलों के लिये नैनो यूरिया का छिड़काव फायदेमंद साबित होता है.
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किसान चाहें तो इफको के बिक्री केंद्र या इफको की ऑनलाइन वेबसाइट www.iffcobazar.in से नैनो तरल यूरिया की बोतल खरीद सकते हैं. नैनो यूरिया खरीदते समय ध्यान रखें कि इसके निर्माण की तारीख के बाद 2 साल के अंदर इसका छिड़काव फसलों पर कर लेना चाहिये.
Published at : 19 Jul 2022 06:52 AM (IST)
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रंगनाथ सिंहवरिष्ठ पत्रकार
Opinion