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National Milk Day: भारत में गाय-भैंस की टॉप देसी नस्लें, जो दूध उत्पादन में नंबर-1 पर हैं, आज ही घर ले आएं

World Milk Day Special: आज वर्ल्ड मिल्क डे पर हम आपको गाय-भैंस की ऐसी ही उन्नत और देसी नस्लों के बारे में जानकारी देंगे, जो आपकी खेती के साथ-साथ डेयरी के बिजनेस में भी चार चांद लगा देंगी.

World Milk Day Special: आज वर्ल्ड मिल्क डे पर हम आपको गाय-भैंस की ऐसी ही उन्नत और देसी नस्लों के बारे में जानकारी देंगे, जो आपकी खेती के साथ-साथ डेयरी के बिजनेस में भी चार चांद लगा देंगी.

यहां जानिए भारत में सबसे दुधारु गाय और भैंस की देसी नस्लों के बारे में.

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Best Cow & Buffalo in India: भारत में हमेशा से ही पशुपालन का चलन रहा है. पुराने समय से किसानों ने पशुपालन को आमदनी का दूसरा जरिया माना है. इससे खेत के लिए खाद का इंतजाम हो जाता है. साथ ही, दूध बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी मिल जाती है. पहले तो किसान अपनी जरूरत के हिसाब से गाय-भैंस पालते थे, लेकिन आज गाय-भैंस पालन को बिजनेस की दृष्टि से देखा जाता है. अच्छे बिजनेस के लिए जरूरी है कि उन्नत और मजबूत नस्लों का चुनाव, जिनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता अच्छी हो और दूध का भी सही उत्पादन मिल जाए.
Best Cow & Buffalo in India: भारत में हमेशा से ही पशुपालन का चलन रहा है. पुराने समय से किसानों ने पशुपालन को आमदनी का दूसरा जरिया माना है. इससे खेत के लिए खाद का इंतजाम हो जाता है. साथ ही, दूध बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी मिल जाती है. पहले तो किसान अपनी जरूरत के हिसाब से गाय-भैंस पालते थे, लेकिन आज गाय-भैंस पालन को बिजनेस की दृष्टि से देखा जाता है. अच्छे बिजनेस के लिए जरूरी है कि उन्नत और मजबूत नस्लों का चुनाव, जिनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता अच्छी हो और दूध का भी सही उत्पादन मिल जाए.
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गिर गाय- भारतीय नस्ल की वो गाय, जिसकी मांग सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी ज्यादा है. इजराइल से लेकर ब्राजील जैसे देशों में भी गिर गाय काफी फेमस है, जिसका मूल गुजरात के गिर जंगलों से जुड़ा है. इसे सबसे ज्यादा दुधारु गाय का खिताब प्राप्त है, जो दिनभर में 50 से 80 लीटर तक दूध दे सकती है. यदि एक गिर गाय भी पाली जाए तो दूध-डेयरी से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, गिर गाय से 2,400 से 2,600 लीटर दूध हर साल ले सकते हैं. ये पूरी तरह गाय की देखभाल और अच्छे पशु आहार पर निर्भर करता है. इसके दूध को बेहद पौष्टिक मानते हैं.
गिर गाय- भारतीय नस्ल की वो गाय, जिसकी मांग सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी ज्यादा है. इजराइल से लेकर ब्राजील जैसे देशों में भी गिर गाय काफी फेमस है, जिसका मूल गुजरात के गिर जंगलों से जुड़ा है. इसे सबसे ज्यादा दुधारु गाय का खिताब प्राप्त है, जो दिनभर में 50 से 80 लीटर तक दूध दे सकती है. यदि एक गिर गाय भी पाली जाए तो दूध-डेयरी से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, गिर गाय से 2,400 से 2,600 लीटर दूध हर साल ले सकते हैं. ये पूरी तरह गाय की देखभाल और अच्छे पशु आहार पर निर्भर करता है. इसके दूध को बेहद पौष्टिक मानते हैं.
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मुर्रा भैंस- जब भी दूध उत्पादन की बात आए तो गिर गाय के बाद मुर्रा भैंस का नाम ही टॉप पर आता है. हरियाणा के रोहतक, हिसार व जींद और पंजाब के नाभा व पटियाला जिले से ताल्लुक रखने वाली ये भैंस दुनियाभर में मशहूर है. सुर्ख काले रंग की मुर्रा भैंस से रोजाना 10 से 25 लीटर तक दूध ले सकते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो एक अच्छी मुर्रा भैंस 4,000 लीटर तक दूध दे सकती है. उत्तर भारत में डेयरी फार्मिंग करने वाले किसानों की पहली पंसद है मुर्रा भैंस. इसके दूध में चिकनाई भी अधिक होता है, जिससे मिठाई, दही, लस्सी और मोजरेला चीज जैसे तमाम प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं.
मुर्रा भैंस- जब भी दूध उत्पादन की बात आए तो गिर गाय के बाद मुर्रा भैंस का नाम ही टॉप पर आता है. हरियाणा के रोहतक, हिसार व जींद और पंजाब के नाभा व पटियाला जिले से ताल्लुक रखने वाली ये भैंस दुनियाभर में मशहूर है. सुर्ख काले रंग की मुर्रा भैंस से रोजाना 10 से 25 लीटर तक दूध ले सकते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो एक अच्छी मुर्रा भैंस 4,000 लीटर तक दूध दे सकती है. उत्तर भारत में डेयरी फार्मिंग करने वाले किसानों की पहली पंसद है मुर्रा भैंस. इसके दूध में चिकनाई भी अधिक होता है, जिससे मिठाई, दही, लस्सी और मोजरेला चीज जैसे तमाम प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं.
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सहीवाल गाय- ये भी गाय की देसी नस्ल है, जो इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसानों को खूब धनवान बना रही है. सहीवाल गाय की अच्छी देखभाल करके दिनभर में 15 से 25 लीटर और सालभर में 2000 से 3000 लीटर दूध ले सकते हैं. अधिक मात्रा में दूध उत्पादन के चलते डेयरी बिजनेस करने वाले साहीवाल गाय जरूर पालते हैं. एक और खास बात है कि साहीवाल गाय प्रति ब्यांत में 10 महीने तक दूध देती है. ये दुधारु गाय भारत के अलावा पाकिस्तान में भी पाई जाती है.
सहीवाल गाय- ये भी गाय की देसी नस्ल है, जो इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसानों को खूब धनवान बना रही है. सहीवाल गाय की अच्छी देखभाल करके दिनभर में 15 से 25 लीटर और सालभर में 2000 से 3000 लीटर दूध ले सकते हैं. अधिक मात्रा में दूध उत्पादन के चलते डेयरी बिजनेस करने वाले साहीवाल गाय जरूर पालते हैं. एक और खास बात है कि साहीवाल गाय प्रति ब्यांत में 10 महीने तक दूध देती है. ये दुधारु गाय भारत के अलावा पाकिस्तान में भी पाई जाती है.
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सुर्ती भैंस- गुजरात से ताल्लुक रखने वाली सुर्ती भैंस ने देशभर में पहचान बना ली है. इसके दूध में वसा की 8 से 12 प्रतिशत मात्रा होती है. सुर्ती भैंस से सालभर में 900 से 1300 लीटर तक दूध उत्पादन ले सकते हैं. सुर्ती भैंस से अच्छे दूध उत्पादन के लिए इसकी खुराक पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.
सुर्ती भैंस- गुजरात से ताल्लुक रखने वाली सुर्ती भैंस ने देशभर में पहचान बना ली है. इसके दूध में वसा की 8 से 12 प्रतिशत मात्रा होती है. सुर्ती भैंस से सालभर में 900 से 1300 लीटर तक दूध उत्पादन ले सकते हैं. सुर्ती भैंस से अच्छे दूध उत्पादन के लिए इसकी खुराक पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.
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थारपारकर गाय- गुजरात और राजस्थान में पाई जाने वाली थारपारकर गाय भी देसी और मजबूत नस्ल है. इसे छोटे किसानों का सहारा भी कहते हैं, क्योंकि कम खुराक में ही थारपारकर गाय हर दिन 10 से 15 लाटर तक दूध दे सकती है. ये गाय जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर से ताल्लुक रखती है, लेकिन अब देशभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. बाकी गायों की तरह ही इसका दूध भी पोषण से भरपूर होता है. इससे सालभर में 3000 से 4000 लीटर तक दूध उत्पादन  ले सकते हैं.
थारपारकर गाय- गुजरात और राजस्थान में पाई जाने वाली थारपारकर गाय भी देसी और मजबूत नस्ल है. इसे छोटे किसानों का सहारा भी कहते हैं, क्योंकि कम खुराक में ही थारपारकर गाय हर दिन 10 से 15 लाटर तक दूध दे सकती है. ये गाय जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर से ताल्लुक रखती है, लेकिन अब देशभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. बाकी गायों की तरह ही इसका दूध भी पोषण से भरपूर होता है. इससे सालभर में 3000 से 4000 लीटर तक दूध उत्पादन ले सकते हैं.
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मेहसाना भैंस- गुजरात और महाराष्ट्र के ज्यादातर इलाकों में मेहसाना भैंस ही पाली जाती है. ये दिखने में तो मुर्रा भैंस की तरह ही दिखती है, लेकिन कद-काठी कुछ मजबूत होती है. मेहसाना भैंस से 1200 - 1500 लीटर प्रति ब्यांत के हिसाब से दूध उत्पादन ले सकते हैं. इसे गिर भैंस के नाम से भी जानते हैं.
मेहसाना भैंस- गुजरात और महाराष्ट्र के ज्यादातर इलाकों में मेहसाना भैंस ही पाली जाती है. ये दिखने में तो मुर्रा भैंस की तरह ही दिखती है, लेकिन कद-काठी कुछ मजबूत होती है. मेहसाना भैंस से 1200 - 1500 लीटर प्रति ब्यांत के हिसाब से दूध उत्पादन ले सकते हैं. इसे गिर भैंस के नाम से भी जानते हैं.
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लाल सिंधी गाय- लाल रंग वाली ये गाय सिर्फ सिंध इलाके में पाई जाती थी. दुधारु होने के चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ी और आज से पंजाब, हरियाणा, यूपी से लेकर मध्य प्रदेश, केरल, उड़ीसा और तमिलनाडु में भी अपनी जड़ें जमा चुकी है. लाल सिंधी गाय की अच्छी देखभाल करके प्रति दिन 8 से 10 लीटर तक दूध उत्पादन ले सकते हैं. ये हर साल 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है. डेयरी फार्मिंग के लिए लाल सिंधी गाय काफी अच्छा विकल्प है.
लाल सिंधी गाय- लाल रंग वाली ये गाय सिर्फ सिंध इलाके में पाई जाती थी. दुधारु होने के चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ी और आज से पंजाब, हरियाणा, यूपी से लेकर मध्य प्रदेश, केरल, उड़ीसा और तमिलनाडु में भी अपनी जड़ें जमा चुकी है. लाल सिंधी गाय की अच्छी देखभाल करके प्रति दिन 8 से 10 लीटर तक दूध उत्पादन ले सकते हैं. ये हर साल 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है. डेयरी फार्मिंग के लिए लाल सिंधी गाय काफी अच्छा विकल्प है.
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जाफराबादी भैंस- बड़ा सिर और भारी शरीर जाफराबादी भैंस को बाकी नस्लों के मुकाबले धाकड़ लुक देता है. 800 से 1000 किलोग्राम वाली ये भैंस सालभर में 2,000 लीटर तक दूध देती है. इस भैंस के दूध में 7 प्रतिशत वसा होता है.
जाफराबादी भैंस- बड़ा सिर और भारी शरीर जाफराबादी भैंस को बाकी नस्लों के मुकाबले धाकड़ लुक देता है. 800 से 1000 किलोग्राम वाली ये भैंस सालभर में 2,000 लीटर तक दूध देती है. इस भैंस के दूध में 7 प्रतिशत वसा होता है.
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भैंस की इन देसी नस्लों के अलावा नीली एव रावी भैंस (1500 - 1800 लीटर प्रति वर्ष), भदावरी भैंस (1250 - 1350 लीटर प्रति वर्ष), पंधारपुरी भैंस (1700 - 1800 लीटर प्रति वर्ष), बन्नी भैंस (1100 - 2800 लीटर प्रति वर्ष), नागपुरी भैंस (700 - 1200 लीटर प्रति वर्ष) दूध देती हैं.
भैंस की इन देसी नस्लों के अलावा नीली एव रावी भैंस (1500 - 1800 लीटर प्रति वर्ष), भदावरी भैंस (1250 - 1350 लीटर प्रति वर्ष), पंधारपुरी भैंस (1700 - 1800 लीटर प्रति वर्ष), बन्नी भैंस (1100 - 2800 लीटर प्रति वर्ष), नागपुरी भैंस (700 - 1200 लीटर प्रति वर्ष) दूध देती हैं.
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गाय की इन देसी नस्लों के अलावा हरियाणवी गाय (10-12 लीटर प्रति दिन), राठी गाय (15 -20 लीटर प्रति दिन), कांकरेज गाय (5 -10 लीटर प्रति दिन), हल्लीकर गाय (4 -6  लीटर प्रति दिन) और नागौरी (5 से 6 लीटर प्रति दिन) दूध देने वाली गाय भी डेयरी फार्मिंग बिजनेस में चार चांद लगा सकती हैं.
गाय की इन देसी नस्लों के अलावा हरियाणवी गाय (10-12 लीटर प्रति दिन), राठी गाय (15 -20 लीटर प्रति दिन), कांकरेज गाय (5 -10 लीटर प्रति दिन), हल्लीकर गाय (4 -6 लीटर प्रति दिन) और नागौरी (5 से 6 लीटर प्रति दिन) दूध देने वाली गाय भी डेयरी फार्मिंग बिजनेस में चार चांद लगा सकती हैं.

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