Success Story: पांच इंजीनियर बने किसान, जैविक खेती शुरू की तो नाम, काम और दाम तीनों चीजों में हो गई बल्ले-बल्ले
आज भारत की एक बड़ी आबादी पढ़-लिखकर रोजगार की तलाश में भटक रही है. ऐसे में कुछ इंजीनियर्स ने नौकरी छोड़कर जैविक खेती करने का मन बानाया और आज ये पूरे भारत में इंजीनियर किसान के नाम से जाने जाते हैं. इन किसानों की सफलता का सफर आसान नहीं था. जहां आज के समय में लोग पढ़ाई के बाद नौकरी करने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. ऐसे में इन युवा किसानों ने सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिये शहरी जीवन के बजाय ग्रामीण रहन-सहन को अपनाया, खेती की आधुनिक तकनीकों के साथ-साथ जैविक खेती करके बड़ा मुकाम हासिल किया.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appअभिषेक सिंघानिया- पिता की बिगड़ती हालत ने अभिषेक सिंघानिया को जैविक उत्पादों के सेवनन और उन पर रिसर्च करने के लिये प्रेरित किया. उन्होंने सबसे पहले रसायनिक खेती के नुकसानों को भी समझा और खुद जैविक खेती करने की दौड़ में शामिल हो गये. बता दें कि अभिषेक सिंघानिया ने भी इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर कई साल तक नौकरी की है. कई वर्षों की समझ के बाद अभिषेक ने ना सिर्फ जैविक उत्पादन पर जोर दिया, बल्कि खेती के टिकाऊ तरीकों को अपनाकर मिसाल पेश की. आज अभिषेक सिंघानिया खुद तो जैविक खेती करते ही है, साथ ही दूसरे लोगों को इसकी ट्रेनिंग देकर जैविक खेती करने के लिये प्रोत्साहित भी करते हैं.
एस शिवगणेशन- तमिलनाडु के एस शिवगणेशन का परिवार पहले से ही गांव में खेती करता था, लेकिन इंजीानियरिंग की पढ़ाई के बाद एस. शिवगणेशन ने राजस्थान स्थित एक परमाणु ऊर्जा स्टेशन में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर करियर बनाया. दो साल नौकरी करने के बाद एस. शिवगणेसन ने अपने पैतृक गांव की तरफ रुख किया और मिनाक्षीपुरम में जैविक खेती करने लगे. एक वैल सेटल नैकरी छोड़ने के बाद आज उन्होंने एमएसआर फार्म के जरिये जैविक खेती में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. उनके प्रयासों को देखते हुये राज्य सरकार ने एस शिवगणेशन को बेहद अहम केरा केसरी पुरस्कार से सम्मानित किया है.
अभिषेक धामा- साल 2014 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अभिषेक धामा ने नौकरी के बजाय खेती को अपनाया. अभिषेक धामा दिल्ली के पल्ला गांव से ताल्लुक रखते हैं और आज अपने परिवार के साथ गांव में रहकर खेती कर रहे हैं. बता दें कि अभिषेक कॉलेज के दिनों से ही काफी हेल्थ और फिटनेस फ्रीक थे और अब खेती को भी फिट बनाने के लिये रसायनों के इस्तेमाल को छोड़र जैविक खेती करके फसलों का उत्पादन लेते हैं. इतना ही नहीं, ये इंजीनियर किसान सब्जियों की व्यावसायिक खेती के साथ-साथ मल्टी क्रॉपिंग के जरिये खेती का मुनाफा बढ़ाकर नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं.
असीम रावत- गाजियाबाद में हेथा फार्म ऑर्गेनिक्स शुरू करने वाले असीम रावत को राष्ट्र स्तर पर काफी लोकप्रियता हासिल हुई है. देसी गायों पर आधारित उनके डेयरी फार्म में ना सिर्फ 100 से भी ज्यादा गायों की सेवा की जाती है, बल्कि आधुनिक तकनीक हाइड्रोपॉनिक की मदद से चारा उगाया जाता है. इससे चारा संकट की समस्या से तो छुटकारा मिला, साथ ही देसी गाय का A2 दूध और इससे बने उत्पादों को बेचकर आज असीम रावत देश के बाकी युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत बने हैं. बता दें कि असीम रावत के डेयरी फार्म में आज 80 लोगों को रोजगार मिल रहा है, साथ ही खुद असीम रावत ने भी आईटी की नौकरी छोड़कर डेयरी फार्मिंग के जरिये करोड़ों का टर्नओवर बना चुके हैं.
अजय नायक- भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल गोवा के रहने वाले अजय नायक ने भी इजीनियरिंग की पढ़ाई की और पढ़ाई का खेती में इस्तेमाल करके देश का पहला इंडोर वर्टिकल हाइड्रोपॉनिक फार्म खड़ा कर दिया. इंजीनियर किसान या स्मार्ट फार्मर अजय नायक ने अपनी खुद की एग्रीटैक कंपनी लेट्रेटा बनाई, जहां खेती के लिये मिट्टी की जगह पानी और पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले भी अजय नायक ने 10 साल तक आईटी फर्म में नौकरी की, लेकिन खेती में भविष्य की संभावनायें तलाशते हुये आज वो खुद इनोवेटिव खेती करके देश के करोड़ों युवाओं के लिये इन्सपिरेशन बन चुके हैं.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -