धान की नर्सरी को कीड़ों से ऐसे बचाएं किसान, करे इस कीटनाशक का प्रयोग
धान की नर्सरी और रोपाई प्री-मानसून सीजन में की जाती है. हालांकि, फिलहाल किसान धान की नर्सरी तैयार कर रहे हैं, जिससे पहली बारिश पड़ने पौध तैयार हो जाये और रोपाई का काम किया जा सके.
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View In Appनर्सरी के लिये उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव किया जाये तो रोग लगने की स्थिति ही नहीं पैदा होती. लेकिन फिर भी नर्सरी में उगाये गये पौधों में झुलसा रोग, भूरा धब्बा और टुंग्रो वायरस पनपने लगते हैं.
इसकी रोकथाम के लिये नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल कम कर दें, क्योंकि उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से भी ये समस्या पैदा हो जाती है. इसके अलावा धान की नर्सरी में जीवामृत या नीम से बने प्राकृतिक कीटनाशक का छिड़काव करें.
दरअसल, धान की नर्सरी में थ्रिप्स, केस वर्म, आर्मी वर्म, और हरे फुदके जैसे कीट पौध पर चिपककर उसे खराब कर देते हैं. ऐसी स्थिति में पौधशाला को बचाने के लिये नर्सरी से अतिरिक्त पानी को जरूर निकाल देना चाहिए.
किसान भाई चाहें तो नीम से बने कीटनाशक और 12.5 किलोग्राम नीम केक को भी प्रति 10 मीटर वर्ग के हिसाब से नर्सरी में डाल सकते हैं. इससे भी फायदा होता है.
इस बात का ध्यान रखें कि नर्सरी में बुआई के 10-15 दिन के अंतराल पर कीटनाशक और फफूंदी नाशक छिड़काव कर दें. रसायन वाले कीटनाशकों के स्थान पर नीम पत्तियों का घोल बनाकर नर्सरी में छिड़काव करें.
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