मेंथा की खेती करते वक्त, इन पांच खास बातों का रखें ध्यान, नहीं तो होगा नुकसान
ऐसी ही एक फसल है मेंथा. जिसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है. मेंथा पुदीना की तरह ही एक पौधा होता है. अलग-अलग कामों के लिए जिसका इस्तेमाल किया जाता है.
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View In Appमेंथा की खेती कर रहा है किसानों के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सलाहें दी हैं. मेंथा की फसल दीमकों के चलते खराब हो सकती है और पौधे सूख जाते हैं. इसलिए इसमें प्रति हेक्टेयर 2.5 लीटर क्लोरपाइरीफॉस छिड़कनी चाहिए.
मेंथा में बालदार सुंडी कीट भी चिपक जाती है जो की पत्तियों से तेल कम कर देती हैं. इनसे बचने के लिए फसल में 700-800 लीटर पानी में 500 एम. एल.डाईक्लोरवास को घोलकर छिड़कना चाहिए.
मेंथा की पत्तियों को पत्ती लपेटक कीड़ा का जाता है. इसके बचने के लिए 700-800 लीटर पानी में मोनोक्रोटोफॉस 36 परसिकरण मिश्रण 1000 एम.एल. को घोलकर पत्तियों पर स्प्रे करना चाहिए.
मेंथा की पत्तियों पर दाग भी लग जाते हैं. यह दाग हरे भूरे रंग के होते हैं. इसकी वजह से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. इन दागों से बचने के लिए 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी प्रति हेक्टेयर को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें.
जब आप मेंथा के पौधे की रोपाई करें. तो उससे पहले पौधों को 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में 15 से 20 मिनट डुबोके रखें. उसके बाद उनकी रोपाई करें.
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