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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पाकिस्तान को धूल चटाने वाले वाले अजीत डोभाल की कहानी
अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड हुआ था. तब डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ हुआ करते थे. डोभाल उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने आतंकियों के साथ बात करके आईसी 814 के 176 यात्रियों को सुरक्षित बचाया था.
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View In App80 के दशक में डोभाल ने ब़ड़ा काम किया था उत्तर पूर्व में. मिजो नेशनल आर्मी के आतंक को खत्म करने के लिए उन्होंने बिना खून बहाए मिजो नेशनल आर्मी में ही सेंध लगा दी थी. तब इंदिरा गांधी इतनी खुश हुई थी उन्होंने सिर्फ 6 साल के करियर वाले आईपीएस डोभाल को इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था. जबकि पुलिस मेडल के लिए 17 साल की नौकरी जरूरी मानी जाती है. डोभाल ऐसे पुलिस अफसर रहे हैं जिन्हें 1988 में कीर्ति चक्र सम्मान मिल चुका है जबकि कीर्ति चक्र सेना का सम्मान है.
पीएम मोदी के साथ काम करते हुए दो साल में अजीत डोभाल ने ऑपरेशन म्यांमार और ऑपरेशन पीओके में 100 फीसदी कामयाबी हासिल की. आतंक के सौदागरों का खून बहाया लेकिन अपने एक जवान पर खरोंच तक नहीं आने दी. 1968 में इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस में चुने गए डोभाल ने करीब 48 साल के करियर में ज्यादातर वक्त जासूस के तौर पर काम किया. अजीत डोभाल ने पूरी जिंदगी आतंकियों से निपटने में गुजार दी. आतंकवाद को उन्होंने करीब से देखा है.
डोभाल ने इंदिरा गांधी के साथ भी काम किया. अटल बिहारी वाजपेयी के भी संकटमोचक बने और आज नरेंद्र मोदी के भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के सबसे बड़े योद्धा बने हैं. 48 साल के करियर में अजीत डोभाल का स्ट्राइट रेट 100 फीसदी रहा है. इसीलिए तो पीएम बनने के बाद मोदी ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी अजीत डोभाल को दी.
भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल 7 साल तक पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रह चुके हैं. पाकिस्तान के आतंकवाद की रग रग जानते हैं. इसलिए तो पीओके में कमांडों घुसकर मारकर लौट आए और पाकिस्तान कुछ कर नहीं पाया.
ऑपरेशन PoK राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का बड़ा ऑपरेशन था जो कामयाब रहा. एक बार फिर मोदी और डोभाल की जोड़ी ने देश की शान बढाई. दुश्मनों को सबक सिखाया. देखिए देश के सबसे बड़े सर्जिकल स्ट्राइक के सूत्ररधार रहे अजीत डोभाल की कहानी.
70 साल की उम्र पार चुके अजीत डोभाल दुश्मन पर पीठ पीछे वार नहीं करते. सामने से वार करते हैं. घुस कर वार करते हैं. ऑपरेशन पीओके में अजीत डोभाल ने यही साबित किया है. पीओके में म्यांमार जैसा ही ऑपरेशन हुआ. कराने वाले थे अजीत डोभाल. पिछले साल जून में भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के कैंप और करीब 100 उग्रवादियों को नेस्तनाबूत किया था. 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में 18 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए ऑपरेशन म्यांमार हुआ था.
डोभाल की विचारधारा हिंदुत्व वाली मानी जाती है. वो विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं. पीएम मोदी के कार्यकाल में एनएसए बनने से पहले से उन्हें बीजेपी का करीबी माना जाता रहा है. अजीत डोभाल के लिए एक काम अभी भी अधूरा है. वह काम है पाकिस्तान से दाऊद इब्राहिम को लाना.
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