Ambedkar Jayanti 2023: जिसे पढ़ने से रोका वही बच्चा बना देश का पहला कानून मंत्री, जानें भारत रत्न डॉ.अंबेडकर से जुड़ी विशेष बातें
जातिगत शब्दों का दंश झेल चुके बाबा साहेब के पिताजी ने उनके बेटे अंबेडकर जी का सरनेम स्कूल में भिवा रामजी अंबावेडकर लिखवाया था. ‘आंबडवेकर’ उपनाम की वजह थी उनका मूल गांव जिसका नाम था अंबाडवे. चूंकी बाब साहेब पढ़ने में बहुत तेज से और कृष्णा महादेव आंबेडकर टीचर के प्रिय छात्र थे. खास स्नेह के कारण शिक्षक कृष्णा महादेव ने भीमराव के नाम में अंबेडकर सरनेम जोड़ दिया. तभी से उनका सरनेम अंबावेडकर के अंबेडकर हो गया.
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View In Appनिचली जाति से होने के कारण बचपन से ही बाबा साहेब को जातिगत भेदभाव से जूझना पड़ा. सार्वजनिक मटके से पानी न पीने देना, किताबे पढ़ने पर रोक, उनका मंदिर में प्रवेश वर्जित जैसी कई बातें उन्हें घर कर गई. उस दौर में कानून भी चुप्पी साधे रहा. यहीं से ऊंच-नीच का फर्क मिटाने के संघर्ष की नींव पड़ी और यही बच्चा देश का पहला कानून मंत्री बना.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड के 2011 के आंकड़ों के मुताबिक आंबेडकर जी को सबसे ज्यादा 64 विषयों पर मास्टरी थी. भारतीय लेबर कॉन्फ्रेंस के 7वें सेशन में अंबेडकर ने इंडिया में 14 घंटे काम की समय सीमा को घटाकर 8 घंटे किया था.
बाल विवाह प्रचलित होने के कारण 1906 में उनकी शादी नौ साल की लड़की रमाबाई से हुई. उस समय बाबा साहेब की उम्र महज 15 साल की थी
1907 में जब बाबा साहेब ने मैट्रिक पास कर एलफिंस्टन कॉलेज प्रवेश लिया तब इस कॉलेज में एडमिशन लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे. साल 1916 में बाबा साहेब को शोध के लिए सम्मानित किया गया था.
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