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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ambedkar Jayanti 2024: भीमराव अंबेडकर ने क्यों कहा, शिक्षा शेरनी का दूध है जो पीएगा वो...
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है. 14 अप्रैल को उनकी जयंती देशभर में मनाई जाती है. निचले कुल में जन्म लेने और भेदभाव का सामना करते हुए बाबा साहेब ने अपनी शिक्षा पूरी कर तमाम डिग्रियां हासिल कीं.
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View In Appभीमराव अंबेडकर ने आजादी की लड़ाई में शामिल होकर स्वतंत्र भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दिया और संविधान निर्माण में अतुल्य भूमिका निभाई.
वैसे तो हमारे देश में कई नेता रहें, जिन्होंने शिक्षा के महत्व को बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दिया. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर भी ऐसे ही प्रतिभाशाली और प्रभावशाली व्यक्ति थे.
बाबा साहेब ने शिक्षा को सर्वोपरि माना. वो कहते थे कि शिक्षा से हर लड़ाई लड़ी और जीती जा सकती है. इसलिए शिक्षित, संगठित और संघर्षकारी रहते हुए समाज के लिए काम करते रहना चाहिए.
शिक्षा के महत्व को लेकर बाबा साहेब ने कहा था कि, शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पीएगा वो दहाड़ेगा. क्योंकि उनका मानना था कि, गरीब और वंचित समाज को यदि प्रगति करनी है तो इसका एकमात्र जरिए शिक्षा ही है.
शिक्षा को लेकर बाबा साहेब के इन विचारों से पता चलता है कि वे गतिशील व प्रगतिशाली समाज के लिए शिक्षा को कितना अहम मानते थे.
शिक्षा को लेकर उनके तीन सूत्र थे- शिक्षा, संगठन और संघर्ष. इसलिए वे कहते थे, शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो. इसका अर्थ है संगठित होकर संघर्ष करने के लिए शिक्षित होना जरूरी है.
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