Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी का क्या है धार्मिक महत्व, इस व्रत को कैसे रखा जाता है, जानें
पुराणों के अनुसार जो फल हाथी-घोड़े के दान से तथा यज्ञ में स्वर्णदान (सुवर्णदान) से प्राप्त होता है, वह फल अपरा एकादशी के व्रत के फल के बराबर है. इसके प्रताप से व्यक्ति विष्णुलोक में स्थान पाता है.
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View In Appएकादशी व्रत करने वालों को दशमी तिथि से ही मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल का त्याग कर देना चाहिए. एक रात पहले हल्का भोजन करें.
एकादशी व्रत करने वालों को इस तिथि पर घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है. जीव हत्या से व्रत प्रभावित होता है.
अपरा एकादशी के दिन प्रात: काल टूथपेस्ट की जगह जामुन, नींबू या आम के पेड़ की लकड़ी से दातुन करें. स्नान के समय पानी में गंगाजल मिला लें. पीले वस्त्र पहनें. इस दिन काले रंग का किसी भी चीज में इस्तेमाल न करें.
एकादशी के दिन किसी का दिया हुआ अन्न ग्रहन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही व्रतधारी गाजर, शलजम, गोभी, पालक आदि का सेवन न करें.
जगत के पालनहार के सामने जलाहार या फलाहार व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन-रात व्रत का पालन करें. एकादशी व्रत 24 घंटे रखा जाता है. सुबह शुभ मुहूर्त में श्रीहरि विष्णु का दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें. षोडोपचार विधि से पूजन करें.
एकादशी के दिन विष्णु जी के भोग में तुलसी जरुर डाले इसके बिना पूजा स्वीकार नहीं होती. अपरा एकादशी की कथा पढ़ें. इस दिन अन्न, जल, मिट्टी का घड़ा, छाता, जूते-चप्पल, धन, वस्त्र, गौ आदि का दान करें.
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