Astrology: आंखों की दिक्कत इन ग्रहों की वजह से होती है, पं. सुरेश श्रीमाली से जानें कारण-उपाय
ईश्वर ने इस संसार को देखने के लिए हमें आंखे दी हैं और इनके बिना मनुष्य का जीवन अधूरा सा लगता है. इस अनुपम और रोमांच से भरी हुई प्रकृति को हम अपनी आंखों से ही देख पाते हैं, लेकिन कई बार मनुष्य को आंखों से जुड़े रोग हो जाते हैं जैसे नज़र की कमजोरी या मोतियाबिंद जैसी बीमारी.
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View In Appआजकल बच्चों में नेत्र रोग काफी दिखाई दे रहे हैं, इसका एक कारण तो कम्प्यूटर और मोबाइल पर अधिक समय बिताना तो है ही साथ ही इसके पीछे ज्योतिषीय कारण भी हैं.
अगर नेत्र रोग आपको परेशान कर रहे हों तो कुंडली में देखें कि कहीं सूर्य, चंद्र, द्वितीयेश और द्वादशेश पीड़ित तो नहीं हैं, क्यों इन दोनों ग्रहों के पीड़ित हो जाने पर जातक की आंख में विकार होते हैं.
ज्योतिष में सूर्य और चंद्र को नेत्र की रक्षा करने वाला कहा गया है. क्योंकि ये दो ग्रह हमें रोशनी देते हैं. हमारी आंखों में सूर्य और चंद्र से प्रभावित होने वाले तत्व है इसलिए जब ये तत्व विकार युक्त हो जाए तो रोग होता है.
कालपुरुष की कुंडली में दूसरे भाव से दायीं आंख का और बारहवें भाव से बायीं आंख का विचार किया जाता है, इसलिए किसी भी कुंडली के इन दो भावों का विश्लेषण भी जरूरी है. ज्योतिष में छठे भाव से रोग का विचार किया जाता है और ऐसे में जब सूर्य चंद्र शत्रु रूप में और रोगकारक ग्रह मिलकर इस भाव को प्रभावित करते हैं तो जातक को आंख में समस्या होने लगती है.
सूर्य, चंद्र, द्वितीयेश और द्वादशेश जब पीड़ित हो जाते है तो जातक की आंख में विकार होते हैं. इन योगों में अगर केतु भी शामिल हो तो जातक की सर्जरी भी हो सकती है.
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