Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर के निर्माण में नेपाल का क्या योगदान है, जानें
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अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. मंदिर के निर्माण से लेकर उद्घाटन के लिए देश के विभिन्न राज्यों, पड़ोसी देश और विदेशी देशों का महत्वपूर्ण योगदान है. मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद नेपाल के कालीगंडकी नदी तट से दो शिलाएं (शालिग्राम) लाई गई थीं.
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खबरों के अनुसार, ये शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं और इसका वजन 14 और 27 टन है. इन्हें नेपाल से सड़कमार्ग के जरिए बिहार के रास्ते गोरखपुर होते हुए अयोध्या भेजा गया था. धार्मिक मान्यता के अनुसार इन शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है.
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श्रीकृष्ण ने महाभारत में युधिष्ठिर को शालिग्राम के गुण बताए थे. वहीं वैष्णव मतानुसार, शालिग्राम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है. इसलिए इसे वैष्णवों द्वारा पूजी जाने वाली सबसे पवित्र शिला माना जाता है.
शिलाओं के अलावा नेपाल से अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए कई तरह के आभूष्ण, बर्तन, वस्त्र, और मिठाई आदि भी आने की खबरें हैं. खबर है कि इन चीजों को भेजने के लिए जनकपुर धाम-अयोध्या धाम आयोजित की जाएगी.
बता दें कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए वैदिक मंत्रोचारण और यज्ञ के साथ 16 जनवरी से ही अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है. वहीं 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा.
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