Chaitra Month 2025: चैत्र माह में पूजा और खान-पान के नियम जान लें, मिलती है तनाव से मुक्ति

चैत्र महीने में शीतला माता की पूजा होती है, इन्हें नीम अर्पित कर उसका सेवन भी करना चाहिए, शीतला माता को रोगाणुओं का नाशक माना गया है. कहेत हैं इनकी पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है. शीतला माता की पूजा सूर्योदय से पूर्व ठंडे में की जाती है. शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन माता की पूजा होती है.
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चैत्र माह देर तक नहीं सोना चाहिए, सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और घर के आसपास मंदिर में बेलपत्र, केला, आंवला, बरगद, पीपल में जल अर्पित करें. कहते हैं इससे जन्मों जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं. पेड़ों में पानी सुबह ही दें दोपहर में नहीं.

चैत्र माह में बासी या अधिक तला हुआ, मसालेदार भोजन करने से बचना चाहिए. मान्यता है कि इससे सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. गुड़ खाने की भी मनाही होती है. सादा दूध पीना भी हानिकारक हो सकता है, मिश्री या चीनी डालें.
चैत्र का महीना मां दुर्गा को समर्पित होता है, इस माह में नवरात्रि के दौरान माता को लाल गुड़हल का फूल, लाल चुनरी जरुर चढ़ाएं. मान्यता है इससे मां जल्द प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं.
इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए. साथ ही पानी ज्यादा से ज्याद पीएं. ध्यान और योग करें, इससे तनाव दूर रहता है.
चैत्र माह में देवी पुराण, भागवत कथा का श्रवण करें. घर में गीता, सुंदरकांड, रामचरितमानस का पाठ करें. इससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है.
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