Chanakya Niti For Motivation: चाणक्य के इन श्लोकों में छिपा है सफलता का असली राज
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चाणक्य नीति (Chanakya Niti In Hindi) के अनुसार जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो नियम और अनुशासन का कठोर पालन करना चाहिए. चाणक्य के ये श्लोक में सफलता के लिए प्रेरित करते हैं. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति.
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यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः। न च विद्यागमऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।। चाणक्य नीति के इस श्लोक आशय ये है कि उस देश मे निवास नहीं रहना चाहिए जहां आपका सम्मान न हो, जहां रोजगार न हो. जहां आपका कोई मित्र न हो. जहां आप कोई ज्ञान प्राप्त न कर सकें, उस स्थान को छोड़ देना चाहिए.
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ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः। तन्मित्रंयत्रविश्वासःसा भार्या यत्र निर्वृतिः।। चाणक्य नीति के अनुसार पुत्र वही है जो पिता का कहना माने, पिता वही है जो पुत्रों का सही लालन-पालन करे, मित्र वही है जिस पर विश्वास किया जा सके और पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो.
मनसा चिन्तितं कार्यं वचसा न प्रकाशयेत्। मंत्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य्यं चापि नियोजयेत्।। चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ ये है कि मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने व्यक्त नहीं करना चाहिए. बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे पूरा करना चाहिए.
कष्टञ्च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम् । कष्टात् कष्टतरं चैव परगेहे निवासनम् ।। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुर्खता दुख प्रदान करती है, जवानी भी दुख देती है. लेकिन इससे भी बढ़कर दुखदायी किसी दुसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है.
पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः। नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।। चाणक्य नीति के अनुसार बुद्धिमान पिता को अपने पुत्रों को अच्छे गुण और संस्कार प्रदान करना चाहिए. क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों को आदर और सम्मान प्राप्त होता है.
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