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Gurudwara Bangla Sahib: सिखों के 8वें गुरु से जुड़ा है गुरुद्वारा बंगला साहिब का इतिहास, जानें

Gurudwara Bangla Sahib: दिल्ली का प्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब का इतिहास सालों पुराना है. कैसे पड़ा इसका नाम बंगला साहिब जानें.

Gurudwara Bangla Sahib: दिल्ली का प्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब का इतिहास सालों पुराना है. कैसे पड़ा इसका नाम बंगला साहिब जानें.

बंगला साहिब का इतिहास

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सिख धर्म में धर्म गुरुओं का बहुत महत्व है. सिखों के कुल 10 गुरु हुए है. जिनमें से 8 वें गुरु श्री हरकिशन थे. हर साल गुरु हरकिशन जी का प्रकाशोत्सव मानाया जाता है. इस साल 23 जुलाई 2023, रविवार को हरकिशन जी की प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा.
सिख धर्म में धर्म गुरुओं का बहुत महत्व है. सिखों के कुल 10 गुरु हुए है. जिनमें से 8 वें गुरु श्री हरकिशन थे. हर साल गुरु हरकिशन जी का प्रकाशोत्सव मानाया जाता है. इस साल 23 जुलाई 2023, रविवार को हरकिशन जी की प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा.
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गुरु हरकिशन ने बहुत छोटी उम्र यानि महज 5 साल की उम्र में गुरु की गद्दी संभाली.उनके पिता सिख धर्म के 7वें गुरु थे. गुरु हरकिशन के पिता का नाम गुरु हरि राय था. अपने पिता के बाद उन्होंने गुरु गद्दी संभाली.
गुरु हरकिशन ने बहुत छोटी उम्र यानि महज 5 साल की उम्र में गुरु की गद्दी संभाली.उनके पिता सिख धर्म के 7वें गुरु थे. गुरु हरकिशन के पिता का नाम गुरु हरि राय था. अपने पिता के बाद उन्होंने गुरु गद्दी संभाली.
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गुरु हरकिशन ने भेदभाव- ऊंच नीच को मिटाया इसीलिए उन्हें बाला पीर कहा जाता है.उनके पिता ने उन्हें 1661 में गद्दी सौंपी, उन्होंने केवल 3 साल तक ही सिखों के 8वें  का नेतृत्व किया. उसके बाद महज 8 साल की उम्र में वो चेचक बिमारी के चलते ज्योति-जोत समा गए.
गुरु हरकिशन ने भेदभाव- ऊंच नीच को मिटाया इसीलिए उन्हें बाला पीर कहा जाता है.उनके पिता ने उन्हें 1661 में गद्दी सौंपी, उन्होंने केवल 3 साल तक ही सिखों के 8वें का नेतृत्व किया. उसके बाद महज 8 साल की उम्र में वो चेचक बिमारी के चलते ज्योति-जोत समा गए.
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लेकिन इस छोटे से जीवन काल में उन्होंने बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की. अपने दिल्ली प्रवास के दौरान वो राजा जय सिंह के महल में रुके उन्होंने चेचक रोगियों देखभाल की, उसी कुएं के पानी से उन्होंने लोगों का उपचार किया और खुद बिमारी की चपेट में आ गए1664 में ज्योति जोत में समा गए.
लेकिन इस छोटे से जीवन काल में उन्होंने बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की. अपने दिल्ली प्रवास के दौरान वो राजा जय सिंह के महल में रुके उन्होंने चेचक रोगियों देखभाल की, उसी कुएं के पानी से उन्होंने लोगों का उपचार किया और खुद बिमारी की चपेट में आ गए1664 में ज्योति जोत में समा गए.
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गुरु हरकिशन ने दिल्ली प्रवास के दौरान राजा जय सिंह के जिस महल में रुके थे, वहां आज बंगला साहिब गुरुद्वारा स्थित है. उसके बाद राजा जय सिंह ने कुएं के ऊपर एक छोटा तालाब बनवाया माना जाता है कि इस तालाब के पानी में बीमारी का उपचार करने के गुण हैं.
गुरु हरकिशन ने दिल्ली प्रवास के दौरान राजा जय सिंह के जिस महल में रुके थे, वहां आज बंगला साहिब गुरुद्वारा स्थित है. उसके बाद राजा जय सिंह ने कुएं के ऊपर एक छोटा तालाब बनवाया माना जाता है कि इस तालाब के पानी में बीमारी का उपचार करने के गुण हैं.

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