Guru Nanak Dev Ji: सिखों के पहले गुरू गुरू नानक देव जी ने की थी लंगर की शुरुआत, जानें इसका महत्व और इतिहास
लंगर जिसका अर्थ है एक ऐसी जगह जहां सब एक सामान और एक साथ आकार भोजन करते हैं. इसमें अपनी सामाजिक स्थिति और धार्मिक चीजों को भूल कर जब आप एक साथ आकर भोजन करते हैं उसे लंगर कहते हैं.
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View In Appसिखों के पहले गुरू गुरू नानक देव जी ने लंगर की शुरुआत की थी. 15वीं में गुरूनानक देव जी ने ऊंच-नीच और जात पात और अंधविश्वास को खत्म करने के लिए लंगर को शुरु किया.
लंगर के दौरान सभी श्राद्धालु एक साथ जमीन पर बैठ कर भोजन खाते. गुरूनानक देव जी ने खुद इसकी शुरुवात की और संगत के साथ बैठ कर लंगर खाया.
मान्याताओं की मानें तो गुरू नानक देव जी को एक बार उनके पिता ने व्यापार के लिए पैसे दिए लेकिन उन्होंने व्यापार ना करके भूखे साधु और संतों को भोजन करवाया और कंबल भी दिए थे.
गुरू नानक देव द्वारा शुरु की गई लंगर की प्रथा आज भी कायम है. लोग आज भी गुरूद्वारों में जाकर लंगर चखते हैं.
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