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Shab-E-Qadr: इस्लाम में चार मुकद्दस रातें कौन सी है, शब-ए-कद्र की रात क्या होती है?
Shab-E-Qadr: शब-ए-कद्र इस्लाम की महत्वपूर्ण रातों में एक है. इसे मुकद्दस की रात या भाग्य की रात भी कहते हैं. शब-ए-कद्र माह-ए-रमजान में पड़ने वाली खास रात होती है.

शब-ए-कद्र 2025
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इस्लाम में कुछ महत्वपूर्ण रातों का जिक्र मिलता है. इन्हें इबादत या मुकद्दस की रात कहा जाता है, जब अल्लाह की रहमतें बंदे पर पड़ती है. इस रात इबादत करने वालों की सभी दुआएं कबूल होती है और गुनाह माफ होते हैं.
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इस्लाम की चार मुकद्दस रातों में आशूरा की रात, शब-ए-मेराज की रात, शब-ए-बारात की रात और शब-ए-कद्र की रात शामिल है. शब-ए-बारात के अब मुसलमानों को शब-ए-कद्र की रात का इंतजार है. आइये जानते हैं इस रात क्या होता है.
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बता दें कि रमजान महीने के आखिरी दस रातों के विषम संख्या की रात जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रातों में कोई एक शब-ए-कद्र की रात होती हैं. हालांकि 27वीं रात पर अधिक जोर दिया जाता है.
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शब-ए-कद्र को कई नामों के जाना जाता है. अरबी में लैलातुल क्रद के नाम से भी जाता है. अंग्रजी में इसे नाइट ऑफ डिक्री, नाइट ऑफ पावर और नाइट ऑफ वैल्यू कहते हैं. इसके अलावा इसे भाग्य की रात और मुकद्दस की रात भी कहा जाता है.
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शब-ए-कद्र पाक महीने में पड़ने वाली खास रातों में है. इस्लाम के अनुसार शब-ए-कद्र हजारों महीने से खास है. मुसलमानों का मानना है कि इसी पवित्र रात में कुरान की आयतें पहली बार दुनिया में जिब्रील फरिश्ते के जरिए पैगंबर मुहम्मद पर उतारी गई थी.
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शब-ए-कद्र की रात पर रोजेदार तरावीह की नमाज पढ़ते हैं, रात की आखिरी तहज्जुद की नमाज पढ़ी जाती है, कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है, हदीस की आयतें, पारा और नफ्ल की नमाज पढ़ी जाती है.
Published at : 14 Feb 2025 09:30 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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