Jagannath Rath Yatra 2023: जगन्नाथ रथ यात्रा इस दिन से होगी शुरू, जानें इस मंदिर के 6 अनसुलझे राज
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से 9 दिन की जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत होती है.जगन्नाथ धाम को भी धरती के बैकुंठ स्वरूप माना गया है. ओडिशा के पुरी में स्थिति जगन्नाथ जी का ये मंदिर कई रहस्यों से भरा है, जिसे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया.
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View In Appविज्ञान का नियम है कि किसी भी वस्तु, इंसान, पशु, पक्षी, पेड़ की परछाई बनती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर के शिखर की छाया दिखाई नहीं देती. जगन्नाथ मंदिर करीब चार लाख वर्ग फीट एरिया में है. इसकी ऊंचाई 214 फीट है लेकिन इसकी परछाई न बनना आज भी रहस्य बना है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने मानव के रूप में अवतार लिया था. ऐसे में प्रकृति के नियम अनुसार उनकी मृत्यु निश्चित थी. जब श्रीकृष्ण ने देहत्याग दी तब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया. इस दौरान एक आश्चर्यजनक घटना हुई कान्हा का पूरा शरीर पंचत्व में विलीन हो गया लेकिन उनका हृदय धड़कता रहा. कहते हैं ये हृदय जगन्नाथ जी की मूर्ति में आज भी धड़कता है.
जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है. यहां कभी प्रसाद की कमी नहीं होती, फिर चाहे कितने ही भक्त क्यों न आ जाएं. कहते हैं यहां अनाज से भरे 7 मिट्टी के बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं, आश्चर्य की बात है कि सबसे ऊपर में रखा अनाज सबसे पहले पकता है.
जगन्नाथ जी के मंदिर का एक और राज है जिसे जानकर सबको हैरानी होती है. यहां मंदिर के ऊपर से न ही कभी कोई प्लेन उड़ता है और न ही कोई पक्षी मंदिर के शिखर पर बैठता है, जबकि बड़ी-बड़ी इमारतों पर पशु-पक्षी दिख जाते हैं.
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