Kaal Bhairav Jayanti 2023: काल भैरव और बटुक भैरव में है बड़ा अंतर, अलग-अलग है इनकी पूजा का महत्व, जानें
पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा-विष्णु में बहस छिड़ी की श्रेष्ठ देवता कौन है तो समस्त ऋषि,मुनि और वेदों ने शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया. ब्रह्मा जी ने इस बात को स्वीकार नहीं किया. तब शिव जी के शरीर से एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ. शिव जी ने ब्रह्मा-विष्णु जी से कहा कि इस स्तंभ का ओर या छोर जो पता लगा लेना वही बड़ा देवता होगा.
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View In Appब्रह्मा जी ऊपर की तरफ चले तो विष्णु जी नीचे की ओर चल दिए. काफी संघर्ष के बाद विष्णु जी ने तो शिव जी को श्रेष्ठ मान लिया लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्हें छोर मिल गया. शिव ने उन्हें झूठा करार दिया तब ब्रह्मा जी क्रोध में आकर भोलेनाथ का अपमान करने लगे.
इस दौरान शिव के अंश से एक विकराल गण की उत्पत्ति हुई जिसे काल भैरव कहा गया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का 5वां सिर धड़ से अलग कर दिया जो अपमानजनक बातें कर रहा था. तांत्रिक पूजा में काल भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है. अघोरी-तंत्र साधना करने वाले सिद्धियां प्राप्त करने के लिए काल भैरव को पूजते हैं.
इस दौरान शिव के अंश से एक विकराल गण की उत्पत्ति हुई जिसे काल भैरव कहा गया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का 5वां सिर धड़ से अलग कर दिया जो अपमानजनक बातें कर रहा था. तांत्रिक पूजा में काल भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है. अघोरी-तंत्र साधना करने वाले सिद्धियां प्राप्त करने के लिए काल भैरव को पूजते हैं.
बटुक भैरव की पूजा से शत्रु, पापी कभी व्यक्ति को सताते नहीं, जहां उनकी उपस्थिति होती है वहां साधक को सुख की कमी नहीं रहती है. अकाल मृत्यु के भय नहीं सताया. क्रोध से मुक्ति पाने के लिए बटुक भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है.
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