Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा, इसे रखने का सही नियम क्या है, जानें
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, जोकि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत गंगा दशहरा (Ganga dussehra) के अगले दिन 18 मई 2024 को रखा जाएगा.
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View In Appहिंदू धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी के व्रत से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है. लेकिन इस व्रत का फल तभी मिलता है, जब इसे पूर्ण विधि और नियम अनुसार किया जाए. आइये जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
सभी एकादशी में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना जाता है. क्योंकि इसमें अन्न के साथ ही जल का भी त्याग करना पड़ता है. पौराणिक व धार्मिक कथाओं के अनुसार भीम को भी मोक्ष और दीर्घायु का वरदान मिला था. इसलिए इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए और ना ही कटु वचन का प्रयोग करना चाहिए. व्रत के दौरान क्रोध से भी दूर रहें. एकादशी के दिन व्रत रखकर अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह व्रत का पारण करें. इस तरह से विधि-विधान से किए गए व्रत से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है.
निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को दशमी तिथि से ही इसके नियमों का पालन करना पड़ता है. दशमी तिथि के संध्याकाल में भी भोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन केवल जल और फल का सेवन करें. इसके बाद अगले दिन स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान विष्णु का पूजन करें.
निर्जला एकादशी का व्रत तभी पूर्ण होता है, जब व्रत का पारण भी पूरे नियम से किया जाएगा. एकादशी व्रत के अगले दिन गरीब और ब्राह्मणों को दान देने के बाद ही व्रत खोले और शुभ मुहूर्त के भीतर ही पारण कर लें. बता दें कि निर्जला एकादशी व्रत का पारण 19 जून को सुबह 05:23 से 07:28 तक के मध्य कर लें.
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