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Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में पितरों को अंगूठे से ही क्यों दिया जाता है जल ? जानें महत्व
Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में पूर्वजों की तृप्ति के लिए तर्पण सही विधि से करना आवश्यक है, नहीं तो पूर्वज प्रसन्न नहीं होते. पितरों को अंगूठे से ही जल क्यों दिया जाता है. जानें इसका महत्व.
![Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में पूर्वजों की तृप्ति के लिए तर्पण सही विधि से करना आवश्यक है, नहीं तो पूर्वज प्रसन्न नहीं होते. पितरों को अंगूठे से ही जल क्यों दिया जाता है. जानें इसका महत्व.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/30f8d04d73c61ba79a57e29c4ab8a5f51695813277092499_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पितृ पक्ष 2023
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![महाभारत और अग्निपुराण के अनुसार अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. ग्रंथों के अनुसार हथेला पर अंगूठे वाला हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/baadf55663f79aff70d01689951f4d64b02b6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
महाभारत और अग्निपुराण के अनुसार अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. ग्रंथों के अनुसार हथेला पर अंगूठे वाला हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.
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![जब तर्पण के दौरान अंगूठे से जल चढ़ाया जाता है तो वो पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है. कहते हैं इससे पूर्वजों की आत्मा पूर्ण रूप से तृप्त हो जाती है. उन्हें जल की कमी नहीं होती.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/18202e3a6d6b7daddc5b9d036eb5c6dddeadf.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जब तर्पण के दौरान अंगूठे से जल चढ़ाया जाता है तो वो पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है. कहते हैं इससे पूर्वजों की आत्मा पूर्ण रूप से तृप्त हो जाती है. उन्हें जल की कमी नहीं होती.
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![श्राद्ध करते समय कुशा से बनी अंगूठी, जिसे पवित्री भी कहा जाता है अनामिका उंगली में धारण करने की परंपरा है. इसके बिना तर्पण, पिंडदान अधूरा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/2f74d7e95c134dc9498ade323259abedbed61.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
श्राद्ध करते समय कुशा से बनी अंगूठी, जिसे पवित्री भी कहा जाता है अनामिका उंगली में धारण करने की परंपरा है. इसके बिना तर्पण, पिंडदान अधूरा है.
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![ऐसी मान्यता है कि कुशा के अग्रभाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर निवास करते हैं. कुशा लेकर जल अर्पित करने से पूर्वज उसे आसानी से ग्रहण कर पाते हैं, क्योंकि वो पवित्र और स्वच्छ हो जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/ff80d26a47a8c1586b9c166544d9493055565.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ऐसी मान्यता है कि कुशा के अग्रभाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर निवास करते हैं. कुशा लेकर जल अर्पित करने से पूर्वज उसे आसानी से ग्रहण कर पाते हैं, क्योंकि वो पवित्र और स्वच्छ हो जाता है.
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![हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें और जल को ग्रहण करने की प्रार्थना करें. इसके बाद जल को पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/27/5026467ece2f32006cb76e803e6283b9bf6e1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें और जल को ग्रहण करने की प्रार्थना करें. इसके बाद जल को पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं.
Published at : 28 Sep 2023 08:30 AM (IST)
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