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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में किसकी पूजा की जाती है, इस व्रत का क्या है धार्मिक महत्व
Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव से है. प्रत्येक माह की दोनों (कृष्ण और शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी (तेरस) को प्रदोष जाता है. इस दिन व्रत रखने का धार्मिक विधान है.
![Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव से है. प्रत्येक माह की दोनों (कृष्ण और शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी (तेरस) को प्रदोष जाता है. इस दिन व्रत रखने का धार्मिक विधान है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/282dadcf556e532853ae3c0506adc0101718816098287466_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्रदोष व्रत 2024
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![प्रदोष व्रत के पीछे ऐसी कथा प्रचलित है कि, चंद्रमा को क्षय रोग था. यह रोग उसके लिए मृत्यु समान कष्टकारी हो गया था. तब शिवजी ने उसके दोष का निवारण किया और त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया. इसलिए इस तिथि को प्रदोष कहा गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/a4f89864a8d04af9e4e7d6ae2eb308f9c4e68.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्रदोष व्रत के पीछे ऐसी कथा प्रचलित है कि, चंद्रमा को क्षय रोग था. यह रोग उसके लिए मृत्यु समान कष्टकारी हो गया था. तब शिवजी ने उसके दोष का निवारण किया और त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया. इसलिए इस तिथि को प्रदोष कहा गया.
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![इस तरह से हर माह पड़ने वाली त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हालांकि अलग-अलग वार के अनुसार इसके नाम भी अलग होते हैं और धार्मिक महिमा में भी अंतर होता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/4fd2a3bb609951c1e1177167c5888a10d58c2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस तरह से हर माह पड़ने वाली त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हालांकि अलग-अलग वार के अनुसार इसके नाम भी अलग होते हैं और धार्मिक महिमा में भी अंतर होता है.
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![रविवार को प्रदोष व्रत पड़े तो रवि प्रदोष व्रत, सोमवार को पड़े को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को पड़े भौम प्रदोष व्रत और बुधवार के दिन पडे तो बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इसी तरह सप्ताह के अन्य वारों में अलग-अलग नाम होते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/061fdc57e588e8c74ed6c971ddf822caa3351.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
रविवार को प्रदोष व्रत पड़े तो रवि प्रदोष व्रत, सोमवार को पड़े को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को पड़े भौम प्रदोष व्रत और बुधवार के दिन पडे तो बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इसी तरह सप्ताह के अन्य वारों में अलग-अलग नाम होते हैं.
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![धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक रहती है और चंद्रमा से शुभ फल की प्राप्ति होती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/c7b176fb1b37744321f25fffbcbdd9f9c9b93.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक रहती है और चंद्रमा से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
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![बता दें कि आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 03 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. इस दिन बुधवार रहेगा, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/98944e30a95e6b24d707df564d1627347fc13.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बता दें कि आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 03 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. इस दिन बुधवार रहेगा, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
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![प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से दुखों का नाश होता है. कहा जाता है इस काल में शिव जी की साधना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/19/76a56df4f413daf1ed7947c16c2420dddf6c8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से दुखों का नाश होता है. कहा जाता है इस काल में शिव जी की साधना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.
Published at : 02 Jul 2024 01:35 PM (IST)
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