Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में किसकी पूजा की जाती है, इस व्रत का क्या है धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत के पीछे ऐसी कथा प्रचलित है कि, चंद्रमा को क्षय रोग था. यह रोग उसके लिए मृत्यु समान कष्टकारी हो गया था. तब शिवजी ने उसके दोष का निवारण किया और त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया. इसलिए इस तिथि को प्रदोष कहा गया.
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View In Appइस तरह से हर माह पड़ने वाली त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हालांकि अलग-अलग वार के अनुसार इसके नाम भी अलग होते हैं और धार्मिक महिमा में भी अंतर होता है.
रविवार को प्रदोष व्रत पड़े तो रवि प्रदोष व्रत, सोमवार को पड़े को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को पड़े भौम प्रदोष व्रत और बुधवार के दिन पडे तो बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इसी तरह सप्ताह के अन्य वारों में अलग-अलग नाम होते हैं.
धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक रहती है और चंद्रमा से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
बता दें कि आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 03 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. इस दिन बुधवार रहेगा, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से दुखों का नाश होता है. कहा जाता है इस काल में शिव जी की साधना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.
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