Qutub Minar: कुतुबुद्दीन ऐबक नहीं बल्कि कुतुब मीनार का नाम इस सूफी संत के नाम पर रखा गया था

भारत की सबसे ऊंची मीनार ‘कुतुब मीनार’ दिल्ली का गौरव है. यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है. लेकिन कुतुब मीनार के नाम को लेकर हमेशा दो मत सामने आते हैं.
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कुछ लोगों कहना है कि, कुतुब मीनार का नाम इसके निर्माता कुतुब-उद-दीन ऐबक के नाम पर रखा गया. दूसरी ओर यह भी कहा जाता है कि सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर कुतुब मीनार का नाम रखा गया है. आइये जानते हैं आखिर किसके नाम पर रखा गया कुतुब मीनार का नाम.

बता दें कि, कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के पहले शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1192 में शुरू करवाया. उनकी मृत्यु के बाद उनके दामाद इल्तुतमिश ने इसे पूरा कराया और विशाल मीनार में तीन और मंजिलें जोड़ीं गई. लेकिन दुर्भाग्य से 1369 में बिजली गिरने से सबसे ऊपरी मंजिल ध्वस्त हो गई.
इसके बाद सिकंदर लोदी ने 1505 के भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुए स्मारक का जीर्णोद्धार करवाया. इसके अतिरिक्त मीनार में कई अन्य निर्माण और जीर्णोद्धार कार्य भी किए गए हैं.
बाद में, फिरोज शाह तुगलक ने एक और मंजिल जोड़ी और क्षतिग्रस्त मीनार को फिर से बनवाया. हुमायूं के निर्वासन के समय जब शेर शाह सूरी शासन में आए तो उन्होंने भी मीनार में एक सुंदर प्रवेश द्वार बनवाया.
अगर बात करें नाम की तो, कुतुब मीनार का नाम दिल्ली के चिश्ती संप्रदाय के प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया. इन्होंने कुतुब मीनार के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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