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Ramadan 2025: रमजान में एतकाफ का अर्थ, इसके क्या नियम हैं
Ramadan 2025: रमजान के तीसरे अशरे यानी आखिर 10 दिनों में एतकाफ की खास फजीलत है. एतकाफ इबादत की ऐसी विधि है जो अल्लाह और बंदों के बीच की दूरी को कम करता है और दोजख से निजात दिलाता है.

रमजान में एतिकाफ
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पाक महीने रमजान में कई तरह से इबादत की जाती है, जिसमें एतकाफ भी है, जिसकी शुरुआत रमजान के आखिरी अशरे में होती है. इस दौरान 10 दिनों तक मुसलमान एकांतवास में रहकर मस्जिद में एतकाफ करते हैं. वहीं महिला घर पर एतकाफ कर सकती हैं.
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एतकाफ करने वाले मुसलमान केवल बेहद जरूरी काम या बातचीत के लिए ही बाहर निकलते हैं और इसके अलावा बाहरी दुनिया से दूर वे सारा समय केवल इबादत में लगाते हैं. एतकाफ का अर्थ होता है ठहर जाना या स्वयं को रोक लेना.
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रमजान का तीसरा अशरा शुरू होते ही रोजेदार मस्जिदों में एतकाफ के लिए पहुंचने लगते हैं तो वहीं कुछ लोग घर पर रहकर भी एतकाफ करते हैं. एतकाफ में बैठे लोग ईद का चांद नजर आने तक इस नियम का पालन करते हैं.
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बता दें कि रमजान में एतकाफ नफिल इबादत है. नफिल का अर्थ है कि इसे फर्ज की तरह अनिवार्य नहीं माना जाता है. लेकिन सवाब बढ़ाने, अल्लाह से जुड़ने और दोजख की आग से बचने के लिए रमजान में मुसलमान एतकाफ करते हैं.
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इस तरह से रमजान में एतकाफ नफिल (स्वैच्छिक) इबादत है. यह अल्लाह की इबादत में मशगूल होना का ऐसा तरीका है जो फर्ज नहीं किया गया है.
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14 साल से ऊपर बालिग फिर चाहे वह बच्चा हो, जवान हो या बूढ़ा हो सभी एकताफ कर सकते है. मान्यता है कि रमजान के आखिरी 10 दिनों में जो एतकाफ के नियमों का पालन करते हैं उन्हें दो उमराह और दो हज जैसा सवाब मिलता है.
Published at : 26 Mar 2025 01:10 PM (IST)
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