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Trishanku Swarg: त्रिशंकु स्वर्ग क्या है, क्या ये टाइम ट्रैवल से जुड़ा है?
Trishanku swarg: हर व्यक्ति की चाहत होती है कि मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिले. एक राजा ऐसा था जिसके लिए अलग से स्वर्ग बनाना पड़ा, इसे त्रिशंकु स्वर्ग कहते हैं, क्या है ये जानें.
![Trishanku swarg: हर व्यक्ति की चाहत होती है कि मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग मिले. एक राजा ऐसा था जिसके लिए अलग से स्वर्ग बनाना पड़ा, इसे त्रिशंकु स्वर्ग कहते हैं, क्या है ये जानें.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/dac37567e30f8119711916e54dab46701730182363665499_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
त्रिशंकु स्वर्ग
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![इक्ष्वाकु वंश में त्रिशंकु नाम के एक राजा हुए. इनका नाम सत्यव्रत भी था. त्रिशंकु चाहते थे कि वह सशरीर स्वर्ग जाएं. इसके लिए उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से यज्ञ करने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/79d78b265983cb9cca570d4cb5c98374e8ad9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इक्ष्वाकु वंश में त्रिशंकु नाम के एक राजा हुए. इनका नाम सत्यव्रत भी था. त्रिशंकु चाहते थे कि वह सशरीर स्वर्ग जाएं. इसके लिए उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से यज्ञ करने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.
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![ऐसे में यज्ञ के लिए जब त्रिशंकु दूसरे ऋषि की तलाश करने लगे तब वशिष्ठ ऋषि के पुत्रों ने उन्हें चांडाल बनने का शाप दे दिया. त्रिशंकु चांडाल बनकर ऋषि विश्वामित्र के पास पहुंचे और सशरीर स्वर्ग जाने के लिए विनती की.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/c65977bbe7061ae138be67ac47bb59d484e75.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ऐसे में यज्ञ के लिए जब त्रिशंकु दूसरे ऋषि की तलाश करने लगे तब वशिष्ठ ऋषि के पुत्रों ने उन्हें चांडाल बनने का शाप दे दिया. त्रिशंकु चांडाल बनकर ऋषि विश्वामित्र के पास पहुंचे और सशरीर स्वर्ग जाने के लिए विनती की.
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![ऋषि विश्वामित्र को उन पर दया आ गई और उन्होंने ऋषियों को निमंत्रण देकर त्रिशंकु के लिए यज्ञ शुरू करवाया, लेकिन यज्ञ में कोई भी देवता नहीं आया. तब विश्वामित्र ने अपने तप के बल से त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया. यानि जीवित ही अपने ज्ञान, तकनीक और विज्ञान से स्वर्ग भेजा. कहते हैं कि उस समय यह एक तरह से टाइम ट्रैवल था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/76b781e9c2af4297713ab3bdfe31b27fa037a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ऋषि विश्वामित्र को उन पर दया आ गई और उन्होंने ऋषियों को निमंत्रण देकर त्रिशंकु के लिए यज्ञ शुरू करवाया, लेकिन यज्ञ में कोई भी देवता नहीं आया. तब विश्वामित्र ने अपने तप के बल से त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया. यानि जीवित ही अपने ज्ञान, तकनीक और विज्ञान से स्वर्ग भेजा. कहते हैं कि उस समय यह एक तरह से टाइम ट्रैवल था.
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![स्वर्ग में इंद्र आदि देवताओं ने त्रिशंकु को स्थान नहीं दिया. ऐसे में त्रिशंकु अधर में लटक गए. इस पर ऋषि विश्वामित्र को क्रोध आ गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/f373ad2665ba0c31ad8fbf63cde9bfe904f71.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
स्वर्ग में इंद्र आदि देवताओं ने त्रिशंकु को स्थान नहीं दिया. ऐसे में त्रिशंकु अधर में लटक गए. इस पर ऋषि विश्वामित्र को क्रोध आ गया.
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![विश्वामित्र ने उसी स्थान पर अपनी तपस्या के बल से स्वर्ग की सृष्टि कर दी और नए तारे, दक्षिण दिशा में सप्तर्षि मण्डल बना दिया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/ceaafbe0efd52cc84369dca4e1ae02c97ed04.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
विश्वामित्र ने उसी स्थान पर अपनी तपस्या के बल से स्वर्ग की सृष्टि कर दी और नए तारे, दक्षिण दिशा में सप्तर्षि मण्डल बना दिया.
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![इससे इन्द्र सहित सभी देवता भयभीत होकर विश्वामित्र से ऐसा न करने की विनती करने लगे. इस पर ऋषि विश्वामित्र ने कहा त्रिशंकु को मैंने वचन दिया है, इसलिए वह सदा इस नक्षत्र मण्डल में अमर होकर राज्य करेगा. इसे ही त्रिशंकु स्वर्ग कहा गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/29/3ab8e5241b895fe72249282df4e19d6b142cf.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इससे इन्द्र सहित सभी देवता भयभीत होकर विश्वामित्र से ऐसा न करने की विनती करने लगे. इस पर ऋषि विश्वामित्र ने कहा त्रिशंकु को मैंने वचन दिया है, इसलिए वह सदा इस नक्षत्र मण्डल में अमर होकर राज्य करेगा. इसे ही त्रिशंकु स्वर्ग कहा गया.
Published at : 29 Oct 2024 12:45 PM (IST)
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
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