Karwa Chauth 2023: करवा चौथ पर करें इन वास्तु नियमों का पालन, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
करवा चौथ का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. वहीं वास्तु शास्त्र में दिशा का काफी महत्व होता है. करवा चौथ के लिए भी वास्तु शास्त्र में जरूरी नियम व दिशा आदि के बारे मं बताया गया है. जिसे महिलाओं को ध्यान में रखना चाहिए.
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View In Appकरवा चौथ का व्रत सरगी करने के बाद ही शुरू होता है. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व सरगी करती हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस बात का ध्यान रखें कि सरगी करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो. इस दिशा में सरगी करना शुभ माना जाता है.
करवा चौथ की पूजा करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखें. वास्तु के अनुसार, दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पूजा नहीं करनी चाहिए. करवा चौथ की पूजा में आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
करवा चौथ की पूजा में पूजा की थाल और कलश आदि सबसे जरूरी सामग्री होती है. वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि, थाली में कलश या करवे का रंग लाल हो, इस बात का खास ध्यान रखें. साथ ही कलश में भी लाल रंग का कलावा बांधे और पूजा की थाल में छलनी, दीप, फूल, हल्दी, चंदन, मिठाई, अक्षत, कुमकुम, फल और पानी से भरा एक गिलास जरूर होना चाहिए.
करवा चौथ की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक आप इससे संबंधित व्रत कथा नहीं पढ़तीं. करवा चौथ की कथा पढ़ते या सुनते समय भी दिशा का विशेष ध्यान रखें. वास्तु के अनुसार कथा पढ़ने या सुनने के दौरान व्रती का मुख पूर्व-उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से देखने की परंपरा है. इस दिन चांद निकलने पर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके ही चंद्र देव को अर्घ्य दें. क्योंकि यह चंद्रदेव की दिशा मानी जाती है.
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