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Vat Savitri Vrat 2022 : वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है, इस व्रत का जानें क्या है महत्व
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वट सावित्री व्रत 2022
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![वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विधि पूर्वक पूजन करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है. इसके साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/4e18113b8e58174911d44d3c944ba65c75c29.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विधि पूर्वक पूजन करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है. इसके साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है.
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![हिंदी पंचांग (Panchang) के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई दिन रविवार समय दोपहर 02:54 बजे से हो रही है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन 30 मई दिन सोमवार समय शाम 04:59 बजे है. धर्म शास्त्र के अनुसार व्रत में उदया तिथि पर ही विचार किया जाता है. इस लिए वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या की उदयातिथि देखी जाएगी. चूंकि सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 30 मई को पड़ रही है तथा यह तिथि 30 मई को शाम 04:59 बजे समाप्त हो रही है. ऐसे में वट सावित्री व्रत 30 मई को रखा जाएगा.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/ad1fd757a7b5795e7082fc1f5f61248850879.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
हिंदी पंचांग (Panchang) के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई दिन रविवार समय दोपहर 02:54 बजे से हो रही है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन 30 मई दिन सोमवार समय शाम 04:59 बजे है. धर्म शास्त्र के अनुसार व्रत में उदया तिथि पर ही विचार किया जाता है. इस लिए वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या की उदयातिथि देखी जाएगी. चूंकि सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 30 मई को पड़ रही है तथा यह तिथि 30 मई को शाम 04:59 बजे समाप्त हो रही है. ऐसे में वट सावित्री व्रत 30 मई को रखा जाएगा.
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![30 मई 2022 को शुभ योग का निर्माण हो रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करते हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी प्रात: 07:12 बजे से लग जा रहा है, जो पूरे दिन है. ऐसे में इस दिन व्रत पूजन अति पुण्य फलदायी होगा.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/e488ef0e5c90361aba05f501c78dd3ac47daa.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
30 मई 2022 को शुभ योग का निर्माण हो रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करते हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी प्रात: 07:12 बजे से लग जा रहा है, जो पूरे दिन है. ऐसे में इस दिन व्रत पूजन अति पुण्य फलदायी होगा.
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![वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर सुहागिन महिलाएं बरगद के वृक्ष के पास जाकर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं. मान्यता है कि जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए तो देवी सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की, इससे उनके पति पुनः जीवित हो उठे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/d9336d548728036e314f959d81ba547733a99.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर सुहागिन महिलाएं बरगद के वृक्ष के पास जाकर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं. मान्यता है कि जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए तो देवी सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की, इससे उनके पति पुनः जीवित हो उठे.
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![पूजा की विधि (Puja Vidhi) : सुहागिन महिलाएं इस दिन सुबह सुबह स्नान करके, सोलह सिंगार करके, अपना सारा सामान टोकरी में लेकर, बरगद वृक्ष के पास जाकर बरगद के पेड़ में रोली और चंदन का तिलक लगाएं. कच्चा सूत बांधकर पांच से सात बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें. बरगद के पेड़ पर फल, फूल, मिष्ठान, घर से बना हुआ पकवान चढ़ाकर अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें. जल से भरे कलश से बरगद के पेड़ को सिंचित करें.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/ad1fd757a7b5795e7082fc1f5f612488544e6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पूजा की विधि (Puja Vidhi) : सुहागिन महिलाएं इस दिन सुबह सुबह स्नान करके, सोलह सिंगार करके, अपना सारा सामान टोकरी में लेकर, बरगद वृक्ष के पास जाकर बरगद के पेड़ में रोली और चंदन का तिलक लगाएं. कच्चा सूत बांधकर पांच से सात बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें. बरगद के पेड़ पर फल, फूल, मिष्ठान, घर से बना हुआ पकवान चढ़ाकर अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें. जल से भरे कलश से बरगद के पेड़ को सिंचित करें.
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![वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. शास्त्रों में इस वृक्ष को चिरंजीवी कहा गया है. इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास बताया गया है. मान्यता है कि इस वृक्ष पर हर वक्त माता लक्ष्मी का निवास रहता है. इसलिए बरगद के वृक्ष की पूजा करने पर कष्टमुक्त, रोगमुक्त, भयमुक्त होने के साथ-साथ पति की लंबी उम्र का वरदान प्राप्त किया जा सकता है. जिससे घर में सुख शांति बनी रहती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/26/ae6f84adab3050d48242606251d9fb97c4643.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) पर बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. शास्त्रों में इस वृक्ष को चिरंजीवी कहा गया है. इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास बताया गया है. मान्यता है कि इस वृक्ष पर हर वक्त माता लक्ष्मी का निवास रहता है. इसलिए बरगद के वृक्ष की पूजा करने पर कष्टमुक्त, रोगमुक्त, भयमुक्त होने के साथ-साथ पति की लंबी उम्र का वरदान प्राप्त किया जा सकता है. जिससे घर में सुख शांति बनी रहती है.
Published at : 26 May 2022 04:22 PM (IST)
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डॉ. अमित सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर
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