Vishwakarma Jayanti 2024: भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था इस मंदिर का निर्माण, आज भी प्रसिद्ध है भव्यता
भगवना विश्वकर्मा सृष्टि के रचतिया और ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र हैं. मान्यता है कि सृष्टि पर जीवन के संचालन के लिए जो भी वस्तुएं सृजनात्मक हैं वह विश्वकर्मा भगवान की ही देन है. इन्हें सृष्टि का पहला शिल्पकार, वास्तुकार और सृजनकार कहा जाता है.
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View In Appदेश के कई स्थानों में भगवान विश्वकर्मा की जयंती दो बार मनाई जाती है. आज माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को विश्वकर्मा जयंती है. इसके बाद सोमवार,16 सितबर 2024 को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी.
भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं मंदिर, नगर, विमान आदि का निर्माण किया. इनकी शिल्प, अभूतपूर्व स्थापत्य और भव्य कलात्मकता बहुत प्रसिद्ध है. आइये जानते हैं भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मंदिर के बारे में.
बिहार के औरंगाबाद जिले में भगवान सूर्य का प्राचीन और विशाल मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं केवल एक रात में ही किया था. यह एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है.
मंदिरों के अलावा देवलोक के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा ने महाभारत काल के सबसे प्राचीन नगर इंद्रप्रस्थ का भी निमाण किया था. इस नगर की स्थापना पांडवों ने खांडव वन पर की थी. इंद्रप्रस्थ नगर पांडवों की राजधानी रही है.
कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के निर्देश पर भगवान विश्वकर्मा ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका और हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथपुरी का निर्माण किया. इसके अलावा वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या, विमान विद्या के बारे में भी भगवान विश्वकर्मा को गहन जानकारी थी.
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