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लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल, मुस्लिम महिलाओं ने मनाया जश्न

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बिल पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है. ये कानून ना पूजा का है, ना प्रार्थना है और ना ही इबादत का है. ये कानून नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी सम्मान से जुड़ा है.
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अब इस बिल को राज्यसभा में भेजा जाएगा, जहां इसकी असली परीक्षा होगी. दरअसल लोकसभा में सरकार के पास संख्याबल है. राज्यसभा में संख्याबल के मामले सरकार की स्थित थोड़ी सी कमजोर है. राज्यसभा में बिल को पास कराना सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं होगा.
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22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा पर रोक लगाई थी लेकिन फैसले के बावजूद तीन तलाक पूरी तरह रुका नहीं है.
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कांग्रेस ने बिल का विरोध तो नहीं किया लेकिन इसमें सुधार के लिए इसे स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजने की मांग की है.
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बिल का विरोध करने वाले इसे शरिया कानून में सरकार का दखल बता रहे हैं. विरोधी बिल को महिलाओं के हक के खिलाफ बता रहे हैं.
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इसमें भारी जुर्माने का भी प्रावधान है. जुर्माने की रकम से पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता दिया जाएगा. नाबालिग बच्चे को रखने का अधिकार महिला के पास होगा. गुजारा भत्ता और बच्चों के भविष्य को लेकर सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट फैसला करेंगे.
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एक बार में तीन तलाक कहकर तलाक देना गैर कानूनी होगा. इसके साथ ही बोलकर, लिखकर, व्हाट्सऐप, फेसबुक से तलाक देना भी अपराध होगा. एक बार में तीन तलाक बोलने पर 3 साल तक सजा हो सकती है.
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सरकार की ओर एक बार में तीन तलाक के खिलाफ पेश बिल लोकसभा से पास हो गया. सरकार के लिए अच्छी खबर ये रही कि ये बिना किसी संशोधन के उसी प्रारूप में पास हुआ जिसमें सरकार ने इसे पेश किया था.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion