जन्मदिन विशेष: मनोज बाजपेयी का बेलवा गांव से बॉलीवुड तक का सफर
बॉलीवु़ड अभिनेता मनोज बाजपेयी ने आज अपनी जिंदगी में 48 सावन देख लिए हैं. बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में जन्मे मनोज बाजपेयी आज बॉलीवुड के उन कलाकारों में शुमार हैं जिन्होंने एक्टिग में एक अलग मिसाल कायम की है. मनोज बाजपेयी अपने काम को लेकर इतने सतर्क रहते हैं कि उनके लिए बड़े बैनर में काम करने के बजाए अच्छी स्क्रिप्ट पर काम करना ज्यादा माएने रखता है. आइए जाने बिहार के एक छोटे से गांव का लड़का कैसे बना बॉलीवुड का अल पचीनो!
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View In App'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी फिल्म में जबरदस्त एक्टिग की बदौलत मनोज बाजपेयी को बॉलीवुड का 'अल पचीनो' भी कहा जाता है.
फिल्म 'सत्या' और 'शूल' के लिए मनोज बाजपेयी को दो बार नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिल चुका हैं.
मनोज बाजपेयी को कॉमर्शियल फिल्मों की बजाए लीक से हट कर फिल्में करने के लिए जाना जाता है.
मनोज बाजपेयी के करियर की दूसरी सक्सेसफुल फिल्म 'शूल' थी जिसमें उन्होने एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया था जो करप्शन और गुंडागर्दी से लड़ता है.
मनोज बाजपेयी की तरफ दर्शकों का ध्यान उस वक्त गया जब वो रामगोपल वर्मा की फिल्म 'सत्या' में भीखू म्हात्रे के विलेन के किरदार में नजर आए.
रुपहले परदे पर मनोज बाजपेयी शेखर कपूर की चर्चित फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में नजर आए, इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने डाकू मान सिंह का किरदार निभाया था.
अपने करियर की शुरुआत मनोज बाजपेयी ने 1995 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सीरियल 'स्वाभिमान' में काम करने से की.
अपने स्ट्रगल के दौरान मनोज बाजपेयी ने एक लड़की से शादी की जिसके साथ बाद में उनका तलाक हो गया. 2006 में मनोज वाजपेई ने नेहा के साथ शादी कर ली. दोनो की एक बेटी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मनोज बाजपेयी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से रिजेक्ट होने के बाद सुसाइड तक करने का मन बना रहे थे.
मनोज बाजपेयी बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज के छोटे से गांव बेलवा में 1969 में जन्मे हैं उनके पिता किसानी किया करते थे.
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