रेगुलर इनकम के बावजूद घर चलाने में हो रही दिक्कत तो इन 5 बातों को याद रखें, संवर जाएगा बजट
घर का मैनेजमेंट किसी कंपनी के मैनेजमेंट से कम नहीं होता और इसके साथ ही ये मनी मैनेजमेंट के लिए भी बड़ा अहम हो चला है. अगर आप नौकरीपेशा हैं या बिजनेस चलाते हैं तो भी आपको हर महीने एक निश्चित रकम चाहिए होगी जिससे आप घर चला सकें. हालांकि आजकल लोगों को एक बड़ी दिक्कत इस मामले में सामने आ रही है कि घर का बजट ठीक से मैनेज नहीं हो पाता. ये दिक्कत क्यों आती है और कैसे इससे बचा जा सकता है, ये आप यहां सीख सकते हैं.
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View In Appकिसी भी घर में अगर पैसे के बारे में स्वस्थ चर्चा नहीं होगी तो ये कभी ना कभी आर्थिक खतरे की वजह बन सकता है, लिहाजा जरूरी है कि घर के सदस्य (बच्चे भी) इस प्रकार की चर्चा में हिस्सा लें. आपको कम से कम हफ्ते में एक बार तो सभी के साथ बैठकर घर में हो रहे खर्चों का हिसाब-किताब देखना चाहिए. घर के बच्चों को भी इस बजट के कॉन्सेप्ट से परिचित कराएं ताकि वो अनापशनाप खर्च के जाल में फंसने से बचें और समझें कि पैसा की कदर करना कितना जरूरी है.
पहले कमाई, फिर खर्च और फिर बचत के इस क्रम को थोड़ा बदलने की जरूरत है जिसके तहत अब हमें पहले कमाई के बाद निवेश को लाना चाहिए और फिर खर्चों को पूरा करना चाहिए. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पैसा हाथ में आते ही तमाम खर्चों को पूरा करने की आतुरता बढ़ जाती है जिसके चलते बचत का लक्ष्य कहीं पीछे छूट जाता है.
बचत और निवेश का अंतर समझकर काम करें क्योंकि आपके खाते में पड़ा पैसा या घर में बचाया गया धन आपको भविष्य की जरूरतों के लिए पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पाता है. सिर्फ पैसा बचाना ही जरूरी नहीं है बल्कि उसे निवेश करके भी आपको आगे के लिए और बढ़ाने की जरूरत है. निवेश को इस बारे में पूरी तरह सोचकर करें कि ये आगे चलकर आपको कैसा रिटर्न देने वाला है.
बचत के माध्यमों को ऑटोमैटिक मोड पर रखें तो ये ज्यादा सही साबित हो सकता है क्योंकि पैसा आते ही वो पहले बचत के हिस्से में चला जाए तो ही बेस्ट है. अगर आप सोचेंगे कि पहले घर की या अपनी जरूरतों को पूरा करना है तो बचत के लिए पैसा बाद में निकालना मुश्किल हो सकता है. लिहाजा आपको ऑटोमैटिक मोड पर जैसे एसआईपी, पोस्ट ऑफिस आरडी या पीपीएफ जैसे माध्यमों को रखना चाहिए जिससे पहले इनका पैसा कट जाए और फिर आपको खर्चें के लिए मिले.
जैसे हम किसी सफर के दौरान सारे पैसे एक साथ न रखकर अलग-अलग बैग या पर्स में रखते हैं, ठीक इसी तरह की अप्रोच घर चलाते समय भी रखनी चाहिए. सारे पैसे को किसी एक जगह निवेश न करके अलग-अलग बचत या निवेश इंस्ट्रूमेंट्स में रखें. उदाहरण के लिए बैंक एफडी हो तो पीपीएफ भी हो, म्यचूअल फंड हो तो डेट फंड में भी पैसा लगाते रहें. सरकारी स्कीमों में से अपनी जरूरतों के हिसाब से चुनकर निवेश करें. निवेश का एक बहुत बड़ा रूल है कि सारे अंडों को एक टोकरी में नहीं रखना चाहिए तो इसका अर्थ अब आप समझ गए होंगे.
अगर यहां बताई गई टिप्स को आप बजट बनाते या खर्च करते समय याद रखेंगे तो आपको होम मैनेजमेंट में कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी. आपका वित्तीय संयोजन आपके खुशहाल जीवन का आधार बन जाएगा.
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