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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vande Bharat Train: बुलेट ट्रेन से तेज चलने वाली वंदे भारत में क्या है खास बात, देखें इंजन की ताकत
वंदे भारत ने केवल 52 सैकेंड में 0-100 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ ली. इस ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 180 से 183 किमी. प्रति घंटे के बीच रही. अब बात ये उठती है कि इस ट्रेन के इंजन में ऐसा क्या खास है कि इस ट्रेन ने इतनी स्पीड पकड़ी. वहीं इस ट्रेन की थर्ड जनरेशन को लेकर क्या बड़े बदलाव होने जा रहे हैं.
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View In Appट्रेन के इंजन की बात हो तो ये एक सामान्य लोकोमोटिव इंजन ही है. हां इसकी शेप आपको कुछ अलग जरूर दिखती है. इस इंजन को सेल्फ प्रोपेल्ड इंजन नाम दिया गया है. ये तकनीकी तौर पर आम इंजन ही होते हैं लेकिन इनमें कुछ कॉस्मेटिक बदलाव होते हैं.
वंदे भारत में सेल्फ प्रोपेल्ड इंजन है. ये इंजन डिब्बे के साथ ही जुड़ा हुआ होता है इसलिए इसे ये नाम दिया गया है.लोकेमोटिव की बात की जाए तो इसका इंजन 6000 हॉर्स पावर जनरेट करता है.
वहीं इसके साथ 8 डिब्बे इलेक्ट्रिक मोटर से लैस भी हैं. जो इसकी पावर को बूस्ट कर के 12 हजार हॉर्स पावर तक ले जाते हैं. इस कारण से इसे सेमि हाईब्रिड कहना भी गलत नहीं होगा.यही कारण है कि वंदे भारत का पिकअप और टॉप स्पीड अचानक आसमान छूती है.
इंजन की खास क्षमताओं के साथ ही वंदे भारत की खासियत इसकी शेप भी है. ये पूरी ट्रेन एयरोडायनमिक शेप में है. इसकी नोज यानि फ्रंट की बात की जाए तो वो एक कोन शेप का है जो हवा को तेजी से काटता है. साथ ही ट्रेन में कहीं भी ऐज नहीं है. ध्यान से देखने पर इस ट्रेन के हर कोने को राउंडनेस या फिर कहें स्लोप दिया गया है. जिससे हवा तेजी से इस पर कटने की जगह स्लिप करती है और इसे आगे की ओर धकेलती है.
वंदे भारत की थर्ड जनरेशन को लेकर रेलवे बड़ा बदलाव करने जा रही है. रेलवे अब वंदे भारत का लोकोमोटिव हटाकर इसे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक करने जा रही है. इसके लिए ट्रेन के साथ ही ट्रैक में भी बड़ा बदलाव करना होगा, क्योंकि ये आम इलेक्ट्रिक इंजन की तुलना में 3 से 4 गुना ज्यादा बिजली की खपत करेगी. ये बदलाव होने के बाद ट्रेन और भी साइलेंट व फास्ट होने की उम्मीद है. साथ ही इसका रखरखाव भी कम आएगा और ये बिल्कुल प्रदूषण नहीं करेगी.
वंदे भारत का निर्माण अक्टूबर 2018 में पूरा हो गया था और इसे ट्रेक पर उतार दिया था. इस ट्रेन में 80 प्रतिशत पार्ट्स भारत में बने हैं. 20 प्रतिशत बाहरी देशों से इंपोर्ट किए हैं. इस ट्रेन के निर्माण के पीछे मुख्य मकसद शताब्दी ट्रेन को रिप्लेस करना है, जो कि इसके मुकाबले सफर पूरा करने में 15 प्रतिशत ज्यादा समय लगाती है.
वंदे भारत को ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाता है. इस ट्रेन के निर्माण में 18 महीनों का समय लगा. जिसके चलते इसको ये नाम दिया था. हालांकि बाद में इसे वंदे भारत नाम दिया गया और अब इसे उसी नाम से पहचाना जाता है. इस ट्रेन में 16 कोच होंगे और इसकी कुल लंबाई 384 मीटर की होगी.
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