Fixed Deposit: FD से होने वाली आय पर भी कटता है टैक्स, ऐसे समझें टैक्सेशन के नियम
FD से होने वाली आय टैक्सेबल होती है. इसे आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है, लेकिन TDS कटने के बाद. इसलिए निवेश के पहले भ्रम में रहने की बजाए टैक्सेशन का नियम समझ लें.
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View In Appअगर आपको फिक्स्ड डिपॉजिट के जरिए हर फाइनेंशियल ईयर में 40,000 रुपये या ज्यादा आय हो रही है तो इस पर बैंक TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) काट लेते हैं. वहीं सीनियर सिटीजंस के मामले में यह लिमिट 50,000 रुपये है. अगर एक फाइनेंशिसल में आय इससे कम है तो TDS नहीं कटता है.
उदाहरण से समझें: मान लो अगर आपने 5 साल की FD की है. FD की रकम 10 लाख रुपये है और ब्याज दर 6 फीसदी सालाना. इस लिहाज से हर साल ब्याज आय 60,000 रुपये होगी. यानी इस पर बैंक 10 फीसदी TDS काटेंगे. अगर आपने PAN नहीं जमा किया है तो TDS 20 फीसदी कटेगा. लेकिन अगर आपने 1 लाख रुपये की FD की है तो इस पर सालाना 6000 रुपये ब्याज से इनकम होगी. इस पर TDS नहीं कटेगा.
Tax कैलकुलेशन: FD के ब्याज से जितनी भी आय हो रही है उसे आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है (आपको टैक्स कैलकुलेशन के समय तक ब्याज नहीं मिला है, उस केस में भी). इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इसे ‘अन्य स्रोतों से आय’ हेड में दिखाया जाता है. उसके बाद देखा जाता है कि आपकी आय किस टैक्स स्लैब में आती है. आयकर विभाग उस TDS, जो पहले ही काटा जा चुका है, को आपके कुल टैक्स देनदारी में एडजस्ट कर देता है. अगर बैंक ब्याज पर TDS नहीं काटता है तो भी इसे ITR में दिखाएं. इसे कुल आय में जोड़ा जाता है और फिर उसी के हिसाब से टैक्स कैलकुलेट होता है.
मल्टीपल FD अकाउंट के मामले में हर अकाउंट से होने वाली ब्याज आय पर टैक्स कटता है. न कि सिर्फ सिंगल FD अकाउंट से.
अगर आपकी सालाना आय 2.5 लाख रुपये से कम है तो फॉर्म 15G/15H फाइल कर सकते हैं. बैंक में फॉर्म 15G/फॉर्म 15H फाइल करने के बाद बैंक TDS नहीं काटता है. बैंक के अलावा पोस्ट ऑफिस में भी FD खाता खुलवाया जा सकता है. यहां FD पर बैंकों से कम TDS कटता है.
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