भारत का बढ़ता दबदबा... MG Motor से पहले ये 10 बड़े ब्रिटिश ब्रांड हो चुके हैं भारतीय
The East India Company: सबसे पहले जिक्र ईस्ट इंडिया कंपनी का, जिसके बिना आधुनिक भारत का इतिहास अधूरा रह जाता है. 1857 तक भारत पर इसी कंपनी का कब्जा था. यह कंपनी एग्री से लेकर माइनिंग और रेलवे तक सारे काम करती थी. अब यह कंपनी चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि की ऑनलाइन बिक्री करती है. भारतीय मूल के बिजनेसमैन संजीव मेहता ने इसे खरीदने के बाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बना दिया है.
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View In AppBSA Motorcycles: महिंद्रा समूह की क्लासिक लीजेंड ने 2016 में ब्रिटिश क्लासिक मोटरसाइकिल ब्रांड BSA Motorcycles को खरीदा. यह ब्रांड कभी ब्रिटेन के टॉप कारोबारी घरानों में से एक Birmingham Small Arms Company के पास था. दिवालिया हो जाने के बाद क्लासिक लीजेंड ने इसका अधिग्रहण कर लिया.
Corus Group: Corus Group दुनिया भर के स्टील मार्केट में ब्रिटेन का झंडा बुलंद करती थी. ब्रिटेन की इस सबसे बड़ी स्टील कंपनी को टाटा समूह की टाटा स्टील लिमिटेड ने 2007 में खरीद लिया.
Tetley Tea: यह दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रिटिश चाय ब्रांड है. अभी यह भी टाटा समूह का हिस्सा है. करीब 200 साल पुरानी इस कंपनी को टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने खरीदा था.
Optare: यह ब्रांड अभी भारतीय ऑटो कंपनी Ashok Leyland का हिस्सा है. यह कंपनी सिंगल डेकर, डबल डेकर, टूरिस्ट, लग्जरी और इलेक्ट्रिक बस बनाती है.
Hamleys: इस ब्रांड को दुनिया भर में प्रीमियम खिलौने का सिंबल माना जाता है. इसे सबसे अमीर भारतीय मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 2019 में खरीदा.
Diligenta: टाटा समूह ने कई विदेशी कंपनियों खासकर ब्रिटिश ब्रांडों को खरीदा है. ब्रिटिश आईटी कंपनी Diligenta भी इस कड़ी का हिस्सा है. इसे खरीदा है टाटा समूह की आईटी कंपनी TCS ने.
Royal Enfield: रॉयल एनफील्ड ब्रिटिश मोटरसाइकिलिंग का आइकॉनिक ब्रांड है. ब्रिटेन के Redditch में स्थित The Enfield Cycle Company Ltd रॉयल एनफील्ड ब्रांड नाम से 1901 में ऑपरेशन शुरू किया था. 1994 में इसे भारतीय वाहन कंपनी आयशर मोटर्स ने खरीद लिया.
Imperial Energy: ब्रिटेन की इस पेट्रोलियम और गैस कंपनी को खरीदा है सरकारी कंपनी ओएनजीसी ने. यह कंपनी रूस, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों में काम करती है.
Jaguar Land Rover: यह लग्जरी कार कंपनी कभी दुनिया में ब्रिटिश प्राइड की प्रतिनिधि हुआ करती थी. बाद में इसे अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स ने खरीद लिया था. फोर्ड मोटर्स ने 2008 में इसे बेचने का फैसला किया और इसे टाटा मोटर्स के द्वारा खरीद लिया गया.
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