Billionaire Barber: पार्किंग में खड़ी रहती है करोड़ों की लग्जरी गाड़ियां, रईसी में फिल्म स्टार्स को भी मात देता है बेंगलुरु का ये नाई!
यह हैं रमेश बाबू. यह पेशे से एक नाई हैं. लेकिन इनकी कमाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश. इनके पास रोल्स रॉयस, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी लग्जरी कारों का काफिला है. आइये बताते हैं आपको बंगलुरु के रमेश बाबू के बारे में .
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View In Appरमेश बाबू की उम्र 46 साल है बंगलुरु के अनंतपुर के रहने वाले रमेश जब 7 साल के थे, तभी उनके पिता गुजर गए. इनके पिता बंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम के पास अपनी नाई की दुकान चलाते थे. पिता की मौत के बाद रमेश बाबू की मां ने लोगों के घरों में खाना पकाने का काम किया, ताकि बच्चों का पेट भर सकें. उन्होंने अपने पति की दुकान को महज 5 रुपए महीना पर किराए पर दे दिया था.
रमेश बाबू तमाम कठिनाइयों के बावजूद पढ़ाई करते थे. 12वीं क्लास में असफल होने के बाद उन्होंने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया. 1989 में उन्होंने पिता की दुकान वापस लेकर उसे नए सिरे से चलाया. इस दुकान को मॉडर्न बनाकर उन्होंने खूब पैसे कमाए और एक मारुति वैन खरीद ली. चूंकि वह कार खुद नहीं चला पाते थे, इसलिए उन्होंने कार को किराए पर देना शुरू कर दिया. 2004 में उन्होंने अपनी कंपनी रमेश टूर एंड ट्रेवल्स की शुरुआत की.
आज रमेश बाबू के पास 400 कारों का काफिला है. इनमें 9 मर्सडीज, 6 बीएमडब्ल्यू, एक जगुआर और तीन ऑडी कारें हैं. वह रॉल्स रॉयस जैसी महंगी कारें भी चलाते हैं जिनका एक दिन का किराया 50,000 रुपए तक है. रमेश बाबू के पास 90 से भी ज्यादा ड्राइवर हैं. लेकिन, आज भी उन्होंने अपना पुश्तैनी काम नहीं छोड़ा. वह आज भी अपने पिता के सैलून इनर स्पेस को चला रहे हैं, जिसमें वो हर दिन 2 घंटे ग्राहकों के बाल काटते हैं.
लग्जरी टैक्सी सर्विस शुरू करने के बाद से रमेश बाबू के क्लाइंट की लिस्ट बढ़ती गई. अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन से लेकर शाहरुख खान जैसी बॉलीवुड सेलेब्रिटी भी उनकी क्लाइंट लिस्ट में शामिल हैं.
रमेश बाबू रोज सुबह साढ़े 5 बजे अपने गैराज में जाते हैं. वहां गाड़ियों की देखरेख, बुकिंग की जानकारी लेकर साढ़े 10 बजे अपने ऑफिस पहुंचते हैं. पूरे दिन क्लाइंट और बिजनेस में बिजी रहने के बाद शाम को 5-6 बजे के बीच वह अपने सैलून जरूर जाते हैं. यहां भी उनके खास क्लाइंट उनका इंतजार कर रहे होते हैं. रमेश बाबू के मुताबिक, उनके ज्यादातर क्लाइंट्स बाल कटाने कोलकाता और मुंबई से आते हैं.
रमेश बाबू अपनी दोनों बेटियों और एक बेटे को भी सैलून का काम हैं. वो रोजाना बतौर टीचर उन्हें कटिंग टिप्स देते हैं. रमेश बाबू का कहना है कि यह एक तरह की जॉब है, जिसमें प्रोफेशनल होना जरूरी है. वो उन्हें अपने साथ सैलून भी ले जाते हैं, लेकिन अभी छोटी उम्र होने के कारण उन्हें वहां काम नहीं दिया जाता.
रमेश बाबू का अगला टारगेट दूसरे शहरों में अपना बिजनेस बढ़ाने का है. वो अपने सैलून और टैक्सी सर्विस को विजयवाड़ा में शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं. उनका मानना है कि ऐसे शहरों में संभावनाएं हैं. इसलिए फोकस इन्हीं शहरों पर है. हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में बिजनेस की सफलता के लिए काफी वक्त लगता है, लेकिन छोटे शहरों में आपके पास कई विकल्प होते हैं.
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