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Bihar Famous Tourist Places: बोधगया से लेकर सोनपुर तक, ये हैं बिहार के सबसे मशहूर टूरिस्ट प्लेस, इन जगहों पर एक बार जरूर जाना चाहिए
Bihar: बिहार की राजनीति जितनी फेमस है. वैसे ही बिहार अपने कुछ खास जगहों के लिए भी फेमस है, जिससे घूमने के लिए टूरिस्ट देश-विदेश से आते हैं. बिहार टूरिस्ट के लिए बेस्ट प्लेस है.

बिहार के मशहूर पर्यटन स्थल
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
1. बोधगया (Bodh Gaya)- बिहार में आए लगभग सभी टूरिस्टों की पहली पसंद बोधगया होता है. बिहार घूमने वाले टूरिस्ट बोधगया जरूर देखना चाहते हैं. बोधगया, बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किमी दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है और गया जिला से सटा हुआ एक छोटा सा शहर है. ये शहर गंगा की नदी फल्गु नदी के किनारे पश्चिम दिशा में बसी हुई है. बौद्ध भिक्षुओं की ओर से बोधगया को दुनिया के पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. क्योंकि यहां बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. बोधगया की ऐतिहासिक और घूमने वाली जगहों में से एक है महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) है. इसके अलावा भी यहां कई रमणीय स्थल हैं, जो देखने लायक है. बोधि वृक्ष (Bodhi Tree)- बोधगया स्थित बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. माना जाता है कि यह पेड़ मूल बोधि वृक्ष का ही एक भाग है, जिसे राजा अशोक की बेटी श्रीलंका ले गई थी.
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
2. महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple): महाबोधि मंदिर बोधगया के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था. जिसका निर्माण 7 वीं शताब्दी ईस्वी में मूल बोधि वृक्ष के चारों ओर किया गया था.
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
3. नालंदा (Nalanda)- बिहार का नालंदा जिला राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. नालंदा विश्वविद्यालय, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है. नालंदा की पावन धरती ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप समृद्ध है. नालंदा विश्वविद्यालय ने प्राचीन काल में शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता में अपना योगदान दिया था. इस विश्वविद्यालय को देखने के लिए टूरिस्ट देश-विदेश से आते हैं. बिहार की राजधानी पटना से लगभग 95 किमी दूर स्थित है. जब टूरिस्टों के आकर्षण की बात आती है, तो टूरिस्टों को लुभाने के लिए नालंदा में जंगल सफारी का निर्माण किया गया है. यहां बनाए गए ग्लास ब्रिज और रोपवे घुमने वालों के सफर को रोमांच से भरपूर बनाते हैं.
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
4. सासाराम (Sasaram)- सूर वंश के संस्थापक अफगान शासक शेरशाह सूरी की समाधि बिहार के सासाराम में मौजूद है. सासाराम में ही राजा शेर शाह सूरी का जन्म हुआ था. सासाराम को सहसराम भी कहा जाता है. सासाराम बिहार राज्य के रोहतास जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है. सासाराम को मूल रूप से शाह सेराय कहा जाता था, जिसका मतलब होता है 'राजा का स्थान' क्योंकि यह अफगान राजा शेर शाह सूरी का जन्मस्थान है. शेर शाह सूरी दिल्ली पर भी शासन करते थे. इसके अलावा इस शहर में टूरिस्टों के लिए और भी कई जगहें हैं, जिससे घूमने के लिए टूरिस्ट आते हैं. अशोक का लघु शिलालेख भी काफी फेमस है. इसको भी देखने के लिए लोग बिहार के सासाराम पहुंचते हैं. सासाराम अशोक के एक शिलालेख के लिए भी प्रसिद्ध है,जो चंदन के पास शहीद के पास कैमूर पहाड़ी की एक छोटी सी गुफा में स्थित है.
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
5. सोनपुर मेला (Sonepur Mela) - बिहार के सोनपुर शहर काफी फेमस जगह है. सोनपुर का मेला पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे दुनिया में फेमस है. इस मेला को घूमने के लिए टूरिस्ट देश-विदेश से आते हैं. बिहार के सोनपुर में यह मेला हर साल नवंबर-दिसंबर में लगता है. बता दें कि यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है. इस मेला का एक और खेल काफी फेमस है, जिसे मौत का कुआ कहा जाता है. इस मेले में कारों को कुएं में दौड़ाने वाला जानलेवा खेल खेला जाता है, जिसे देखने के लिए टूरिस्ट दूर-दूर से आते हैं.
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6. राजगीर (Rajgir)- राजगीर नालंदा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है. राजगीर कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. राजगीर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. इस शहर का बौद्ध धर्म से बहुत प्राचीन संबंध है. भगवान बुद्ध ने कई साल इसी स्थान पर ज्ञान की प्राप्ति की थी. राजगीर सिर्फ बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं यह स्थान हिंदू और जैन धर्मों से जुड़े लोगों के बीच भी बहुत फेमस है. देश-दुनिया के बहुत से टूरिस्ट इस शहर को घूमने के लिए आते हैं.
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
7. पटना जू (Patna Zoo)- पटना के चिड़ियाघर का नाम 'संजय गाँधी जैविक उद्यान' है. पटना चिड़ियाघर बेली रोड पर स्थित है. इस पार्क को 1973 में एक चिड़ियाघर के रूप में जनता के लिए खोला गया था. यह पार्क पटना का सबसे अधिक पिकनिक स्थल है. पटना के चिड़ियाघर में फिलहाल लगभग 110 प्रजातियों के 800 से अधिक जानवरों का घर है. पटना के चिड़ियाघर को लोग घूमने के लिए आते हैं
Published at : 26 Mar 2023 11:39 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
Opinion