Bihar Holi 2023: बिहार के इस गांव में बिना रंग और गुलाल के मनाई जाती है होली, इस अनोखी परंपरा के बारे में जानिए
होली की धूमधाम हर तरफ देखने को मिल रही है. रंगो के त्यौहार में रंग न हो ऐसा कभी सुना है ?
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View In Appदरअसल, बिहार के नालंदा ज़िले में 5 गांव है, जहां रंग गुलाल और हुड़दंग से होली नहीं मनाते हैं. इन गांवों में होली मनाने की अनोखी परंपरा है. आप भी हैरान रह जाएंगे कि क्या ऐसा भी मुमकिन है. इन गांवों के लोग होली के दिन रंग, गुलाल और पकवान नहीं बनाते बल्कि भक्ति में लीन रहते हैं.
होली के दिन गांव के लोग चूल्हा भी नहीं जलाते है. शुद्ध शाकाहारी बासी खाना ही खाते हैं. शराब और मांस को छूते तक नहीं हैं और फूहड़ गीत बजाने से भी परहेज़ करते हैं.
अनोखी होली मनाने की परंपरा पर स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है बसीऑरा के दिन ग्रामीण होली का लुत्फ उठाते हैं. वहीं गांव के बुजुर्ग पद्म श्री से सम्मानित कपिल देव प्रसाद (निवासी, बसवन बीघा गांव) ने बताया कि एक सिद्ध पुरुष संत बाबा गांव आए थे और यहा झाड़फुक करते थे. कई साल पहले उनकी मौत हो गई, उनके नाम पर गांव में आज भी मंदिर मौजूद है. दूर दराज इलाके से श्रद्धालु मत्था टेकने यहां पहुंचते हैं.
कपिल देव प्रसाद ने बताया कि सिद्ध पुरुष संत बाबा ने होली को लेकर गांव के लोगों से कहा था कि, त्यौहार में नशा और फूहड़ गीत बजाने से अच्छा है कि भगवान को याद करो. इससे किसी प्रकार का झंझट नहीं होगा. आपसी सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए अखंड पूजा करो. इससे शांति के साथ खुशहाल जिंदगी होगी. बाबा एक सामाजिक इंसान भी थे, लोगों ने उनकी बातों पर अमल किया और तब से यह परंपरा आज तक कायम है.
गांव के लोग होली के मद्देनज़र धार्मिक अनुष्ठान शुरू होने से एक दिन पहले घरों में मीठा और शुद्ध शाकाहारी भोजन तैयार कर रख लेते हैं. क्योंकि अखंड के समापन तक चूल्हा जलाने की मनाही रहती है. होली के दिन लोग नमक के इस्तेमाल से भी परहेज़ करते हैं. जहां पूरा देश रंगों का उत्सव मना रहा होता है, वहीं बिहार के नालंदा जिले के गांव में सादगी से होली खेली जाती है. यह वाकई अपने आप में एक सीख लेने वाली बात है, कि होली में रंगों के साथ प्यार बांटें .
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