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दुर्लभ बीमारी से पीड़ित 5 महीने की बच्ची को जीवन मिला, जानें क्या थी बीमारी
![](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103934/infant-child-kid-baby-nurse-10.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
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![उन्होंने कहा कि बच्ची के माता-पिता आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, कई लोगों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया, जिन्होंने क्राउड-फंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बच्ची के इलाज में योगदान दिया.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103835/infant-child-kid-baby-nurse-5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
उन्होंने कहा कि बच्ची के माता-पिता आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, कई लोगों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया, जिन्होंने क्राउड-फंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बच्ची के इलाज में योगदान दिया.
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![इसके बाद सुरमपदी का लिविंग डोनर ट्रांसप्लान्ट किया गया, जिसमें बच्ची की मां डोनर थीं. लिवर ट्रांसप्लान्ट, हेपेटोबाइलरी और पैनक्रियाटिक सर्जन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. नीरव गोयल ने कहा कि बड कियारी और बाइलरी एट्रिसिया दोनों के एक साथ होने के कारण लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में जोखिम बहुत अधिक था. सर्जरी के बाद बच्ची ठीक हो गई और उसे तीन सप्ताह के बाद छुट्टी दे दी गई.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103830/infant-child-kid-baby-nurse-11.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसके बाद सुरमपदी का लिविंग डोनर ट्रांसप्लान्ट किया गया, जिसमें बच्ची की मां डोनर थीं. लिवर ट्रांसप्लान्ट, हेपेटोबाइलरी और पैनक्रियाटिक सर्जन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. नीरव गोयल ने कहा कि बड कियारी और बाइलरी एट्रिसिया दोनों के एक साथ होने के कारण लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में जोखिम बहुत अधिक था. सर्जरी के बाद बच्ची ठीक हो गई और उसे तीन सप्ताह के बाद छुट्टी दे दी गई.
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![उन्होंने कहा कि जब वह हमारे अस्पताल में आई उसका वजन 5.5 किलोग्राम था, उसके पेट में तकरीबन 1 लीटर पानी भरा था. यानी उसका सही वजन 4.5 किलोग्राम था. हमने जांच के बाद पाया कि बच्ची ऑक्ल्युडेड हेपेटिक वेनस चैनल्स से पीड़ित थी. उसमें बड कियारी सिंड्रोम का इलाज किया गया. यह एक दुर्लभ बीमारी है जो 20 लाख में से एक बच्चे में पाई जाती है.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103825/infant-child-kid-baby-nurse-10.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
उन्होंने कहा कि जब वह हमारे अस्पताल में आई उसका वजन 5.5 किलोग्राम था, उसके पेट में तकरीबन 1 लीटर पानी भरा था. यानी उसका सही वजन 4.5 किलोग्राम था. हमने जांच के बाद पाया कि बच्ची ऑक्ल्युडेड हेपेटिक वेनस चैनल्स से पीड़ित थी. उसमें बड कियारी सिंड्रोम का इलाज किया गया. यह एक दुर्लभ बीमारी है जो 20 लाख में से एक बच्चे में पाई जाती है.
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![अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया कि बाइलरी एट्रिसिया ऐसी बीमारी है जो 12,000 में से एक बच्चे में देखी जाती है, इसमें लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन नहीं होता. इलाज के लिए सबसे पहले लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन बनाना होता है.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103821/infant-child-kid-baby-nurse-8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया कि बाइलरी एट्रिसिया ऐसी बीमारी है जो 12,000 में से एक बच्चे में देखी जाती है, इसमें लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन नहीं होता. इलाज के लिए सबसे पहले लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन बनाना होता है.
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![बड कियारी सिंड्रोम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पांच महीने की बच्ची को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में नया जीवन मिला है. आन्ध्र प्रदेश के काकीनाडा की बच्ची सुरमपुदी सेहिथा को एक महीने की अवस्था में पीलिया हो गया था. लगातार सूजन के कारण उसका पेट फूलता जा रहा था और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी. सभी फोटोः गेटी इमेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/05/29103816/infant-child-kid-baby-nurse-7.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बड कियारी सिंड्रोम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पांच महीने की बच्ची को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में नया जीवन मिला है. आन्ध्र प्रदेश के काकीनाडा की बच्ची सुरमपुदी सेहिथा को एक महीने की अवस्था में पीलिया हो गया था. लगातार सूजन के कारण उसका पेट फूलता जा रहा था और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी. सभी फोटोः गेटी इमेज
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