16 साल की उम्र में पहली बार मंच पर दिखीं, लेकिन चुनावी राजनीति में 36 साल बाद वायनाड से होगी प्रियंका गांधी की एंट्री
साल 1988 की बात है, इंदिरा गांधी की हत्या को 4 साल बीत चुके थे. तभी एक मंच पर लोगों ने प्रियंका गांधी को देखा. प्रियंका की उम्र तब सिर्फ़ 16 साल थी. ये प्रियंका का पहला सार्वजनिक भाषण था. कांग्रेस समर्थक अक्सर जिस मांग को उठाते रहे थे, इस भाषण के 36 साल बाद वो अब पूरी हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने का ऐलान हो चुकी है.
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View In Appप्रियंका गांधी अपने अब तक के राजनीतिक सफर में पहली बार चुनाव लड़ेंगी. इससे पहले वह पार्टी संगठन में ही काम करती रही हैं. वह वर्तमान में कांग्रेस महासचिव के पद पर हैं. हालांकि, प्रियंका 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल रहीं. यह राजनीति में उनका पहला मजबूत कदम था. उन्होंने दर्जनों लोकसभा सीटों में रैलियां की थीं.
उत्तर प्रदेश के साल 2007 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब राहुल गांधी ने कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान का जिम्मा संभाला था, तब प्रियंका ने अमेठी-रायबरेली क्षेत्र की 10 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया. प्रियंका काफी लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का कामकाज देखती रही हैं.
प्रियंका गांधी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से होती रही है और उनको कांग्रेस का ट्रंप कार्ड माना जाता है. ऐसे में रायबरेली में चुनाव भले ही राहुल गांधी जीते हों, लेकिन बहुत हद तक क्रेडिट तो प्रियंका गांधी के सफल कैंपेन को ही जाता है. अमेठी में भी केएल शर्मा के सहारे बदला तो प्रियंका गांधी ने ही लिया है.
प्रियंका गांधी जब छोटी थीं और अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया के साथ रायबरेली जाती थीं तो उनके बाल हमेशा छोटे रहते थे. अमेठी और रायबरेली के दौरे पर गांव के लोग राहुल की तरह प्रियंका को भी भइया बुलाते थे. अगले कुछ सालों में ये बदलकर भइया जी हो गया. इसकी एक वजह प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप का साफ नज़र आना था.
प्रियंका गांधी रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी और अमेठी में अपने भाई राहुल के चुनाव अभियानों में सहायक की भूमिका में रहीं हैं. कांग्रेस ने उनके ही नेतृत्व में 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा. उस दौरान जनवरी 2022 में, प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने भाई राहुल गांधी के साथ 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र लॉन्च किया.
कांग्रेस के इस घोषणापत्र में प्रियंका गांधी ने महिला वोटों और राजनीति में उनकी भागीदारी पर जोर देते हुए उन्होंने प्रदेश में 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान की शुरुआत की. हालांकि, यूपी में कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने के उनके सभी कोशिशों के बावजूद, कांग्रेस पार्टी को 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा.
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