Election 2024: हरियाणा-जम्मू में सपा को मिला झटका फिर क्यों कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ रहे अखिलेश यादव, ये रहा प्लान
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की स्थिति कमजोर होते हुए भी उसे जरूरत से ज्यादा सीटें दी थी, लेकिन सवाल यह है कि कांग्रेस अखिलेश यादव के साथ ऐसा क्यों नहीं कर रही है? कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सपा को एक सीट भी नहीं दी.
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View In Appसपा ने हरियाणा में कांग्रेस का साथ देने का फैसला लिया, लेकिन जम्मू कश्मीर में गठबंधन न होने की वजह से सपा ने अपने ही दम पर भी उम्मीदवार उतार दिए. एक और सवाल यह भी है कि कांग्रेस के सपा को सीट न देने के बाद भी सपा उसका साथ छोड़ने का नाम क्यों नहीं ले रही है.
हरियाणा में सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं दी. इसके बावजूद भी कांग्रेस का साथ सपा ने नहीं छोड़ा. अखिलेश यादव तो एक बयान में यह कहते भी नजर आए कि समाजवादियों उन्हें दानवीर कर्ण से त्याग करना सीखा है. हालांकि, इसके पीछे तो उनकी रणनीति ही होगी.
अखिलेश यादव पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं, लेकिन बिना कांग्रेस के साथ के यह हो नहीं पाएगा. यही कारण है कि कांग्रेस उन्हें सीट नहीं भी दे रही है तो सपा को फिलहाल कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. हरियाणा ही नहीं अखिलेश यादव ने जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस से सीटें मांगी थी, लेकिन यहां भी सपा को झटका मिल गया तो उसने अपने 20 उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया. हालांकि, इसके पीछे भी अखिलेश यादव की अपनी रणनीतियां है.
जम्मू कश्मीर में सपा के प्रत्याशी जीत जाते हैं तो यह अखिलेश यादव के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और अगर नहीं भी जीतते हैं तो भी पार्टी का मत प्रतिशत तो बढ़ेगा ही. यह भी सपा के लिए गुड न्यूज ही होगी. सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए अलग-अलग राज्यों में अपना मत प्रतिशत बढ़ता बेहद जरूरी है.
जम्मू हरियाणा से पहले सपा मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस से गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन यहां भी कांग्रेसी सपा को झटका दे देती है. तब भी सपा ने 22 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. सपा एमपी में अपना खाता तो खोल नहीं पाई थी, लेकिन कांग्रेस को कुछ सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था.
महाराष्ट्र की बात करें तो सपा के यहां पहले से ही दो विधायक हैं और ऐसे में पार्टी कांग्रेस से चार से पांच सीटें चाहती है, क्योंकि पहले से ही महाराष्ट्र में सपा के विधायक मौजूद हैं, इसलिए हो सकता है कि कांग्रेस यहां पर हरियाणा और जम्मू वाला व्यवहार सपा से न करें और सीटों की डिमांड को पूरा कर दे, लेकिन यह भी ख्याल आता है कि सपा भी तो कांग्रेस से बदला ले सकती है.
जिस प्रकार का व्यवहार कांग्रेस सपा के साथ कर रही है उसे देखते हुए लगता है कि उत्तर प्रदेश में भी सपा 10 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में बदला ले सकती है. इन 10 सीटों में से कांग्रेस 5 सीटें मांग रही है. उपचुनाव में अखिलेश यादव भी याद रखेंगे कि कांग्रेस ने अन्य राज्यों में उनकी पार्टी के साथ क्या किया. हालांकि, अखिलेश यादव ने “बात सीट की नहीं जीत की है” यह कहकर गठबंधन धर्म निभाने के लिए त्याग करने के संकेत दिए थे.
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