CSDS-Lokniti Post-Poll Survey: UP-बिहार में यादवों के खेल निराले! खुद को बनाया, BJP-NDA को 'बिगाड़ दिया'
आम चुनाव के बाद हुए सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे से पता चला कि यूपी में बड़े स्तर पर सामान्य/ऊंची जातियों में आने वाले ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों ने बीजेपी को सपोर्ट किया, जबकि ओबीसी, एससी और मुस्लिम वोटर्स का वोट विपक्ष के इंडिया गठबंधन के खेमे में गया.
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View In Appयूपी में अखिलेश यादव की अल्टरनेटिव सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला (पीडीए - पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक) चला, जिसके तहत उन्होंने अधिकतर टिकट पिछड़ों और दलितों को दिए थे. यादवों और मुसलमानों को भी टिकट दिए गए पर उनकी संख्या कम रही.
सपा ने यूपी में 32 ओबीसी, 16 दलित, 10 अपर कास्ट और चार मुसलमान कैंडिडेट्स उतारे थे. ऊपर से ओबीसी और दलितों को इस बात का डर था कि कहीं बीजेपी सच में संविधान (पार्टी नेताओं के बयानों ने इस बात को चुनाव प्रचार के दौरान खूब हवा दी थी) न बदल दे.
80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में आम चुनाव में सपा को 37 सीटें हासिल हुईं हैं. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी तीसरे नंबर की पॉलिटिकल पार्टी बनकर उभरी है. यूपी में सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और वह विपक्ष के इंडिया अलायंस का फिलहाल हिस्सा है.
उधर, बिहार की बात करें तो सीएसडीएस-लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे से खुलासा हुआ कि एनडीए ने बिहार में सियासी जमीन तो बचा ली पर वहां इस बार के चुनाव में उसका वोट शेयर गिर गया. आम चुनाव में पार्टी को कुल वोट शेयर का 47 फीसदी हिस्सा हासिल हुआ है.
सर्वे के निष्कर्ष से जुड़े डेटा के हवाले से अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' की रिपोर्ट में बताया गया कि लालू प्रसाद यादव के नेतृत वाले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की लीडरशिप में वहां गठबंधन का वोट शेयर बढ़ा. एससी वर्ग से भी पार्टी को फायदा (वोटों के लिहाज से) हुआ.
बिहार में हुए लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने कुल चार सीटें हासिल कीं. चुनावी नतीजों में वह 13वें नंबर की पार्टी बनकर उभरी, जबकि राज्य में सीटों के लिहाज से वह चौथे नंबर की पार्टी रही.
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