हरियाणा में बेहद टाइट थी फाइट! 1 फीसदी वोट से बीजेपी ने कर दिया खेल; जानें कैसे कांग्रेस को दी पटखनी
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कुछ मामूली अंतर से ही हारी है. इसी मामूली अंतर से भाजपा ने एक बार फिर हरियाणा में सरकार बना ली और इसी अंतर से कांग्रेस को 10 साल इंतजार करने के बाद 5 साल का और एक्सटेंशन मिल गया. चुनाव में लड़ाई इतनी तगड़ी थी कि बादशाहपुर, फिरोजपुर झिरका, गढ़ी सांपला-किलोई, गुड़गांव और पानीपत ग्रामीण में जीत हार का अंतर मात्र 50 हजार से अधिक रहा.
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View In Appइन पांच सीटों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड फिरोजपुर झिरका के मामन खान के नाम रहा. मामन खान कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे जिन्हें 98,441 वोट मिले. प्रदेश में 19 विधानसभाएं ऐसी थीं, जहां पर यह अंतर 5 हजार से कम वोटों का रहा. इनमें से भी डबवाली, लोहारू, उचाना कलां में तो यह अंतर मात्र एक हजार का रहा. 19 सीटों में से सात सीटों पर कांग्रेस को, 10 सीटों पर बीजेपी को और दो सीटों पर इनेलो के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.
पंचकुला विधानसभा सीट की बात करें तो यहां दोपहर तक कांग्रेस पीछे चल रही थी, लेकिन अंत में कांग्रेस प्रत्याशी जीत गया. फतेहाबाद में शुरू से ही कांग्रेस प्रत्याशी बलवान सिंह दौलतपुरिया पीछे चल रहे थे, लेकिन दिन ढलते ढलते उनकी वापसी हुई और 2252 वोटों से वह जीते.
आदमपुर सीट से भाजपा की उम्मीदवार भव्य बिश्नोई ने काफी देर तक बढ़त बनाई हुई थी, लेकिन अंत में कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र प्रकाश ने झंडे गाड़ दिए. कलानौर सीट से भाजपा की रेनू डाबला ने बढ़त बनाई हुई थी, लेकिन अंत में कांग्रेस की शकुंतला खटीक को जीत मिल गई.
बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं तो कांग्रेस ने 37 सीटें. वोट शेयर के लिहाज से देखा जाए तो दोनों के बीच में अंतर एक प्रतिशत से भी काम का रहा. भाजपा को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत. बीजेपी को 55 लाख 48 हजार 800 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस को 54 लाख 30 हजार 602. यानी की मात्र 118198 वोट के अंतर से भाजपा को जीत मिली.
चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी अहम भूमिका निभाई है. भले ही AAP के प्रत्याशियों की ज्यादातर सीटों पर जमानत जब्त हो गई हो, लेकिन यदि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया होता तो जाहिर सी बात है वोट एक्सचेंज हुए होते और तस्वीर कुछ और ही होती. जितने वोटों का अंतर कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा उससे ज्यादा, 248455 वोट AAP को मिले.
भाजपा की जीत के पीछे चार सबसे बड़ी वजह है, जिसमें सबसे पहले है माइक्रो प्लानिंग, यानी की बड़ी रैलियां की जगह बीजेपी ने डोर टू डोर कैंपेन किया. दूसरी है प्रत्याशियों की भरमार, यानी कि भाजपा ने अप्रत्यक्ष रूप से तमाम उम्मीदवार खड़े कर दिए ऐसे में एंटी बीजेपी वोट बंट गए और कांग्रेस जीत से दूर हो गई.
तीसरा है दलितों पर फोकस. लोकसभा चुनाव से सीख लेते हुए और कुमारी शैलजा के खिलाफ हुई जातिगत टिप्पणी को मुद्दा बनाते हुए भाजपा ने कांग्रेस पर खूब हमला बोला. चौथा है ओबीसी मैनेजमेंट, यानी कि नायब सिंह सैनी के सरकार में आते ही ओबीसी के लिए कई योजनाएं लांच की थी. अपने संकल्प पत्र में भी पार्टी ने ओबीसी के लिए कई तरह की योजनाएं बताई थी.
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