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Haryana Elections: क्या कांग्रेस का गेम बिगाड़ देंगे ये निर्दलीय और छोटे दल? कौन होगा हरियाणा का किंगमेकर
Haryana Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक सप्ताह का समय बकाया है. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार और छोटे दल त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं.

निर्दलीय और छोटे दल खराब कर सकते हैं कांग्रेस का गेम
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक सप्ताह का समय बकाया है. राज्य में भाजपा और कांग्रेस के अलावा जननायक जनता पार्टी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन है. दूसरी ओर इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है, जिन्होंने 90 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी भी चुनाव के मैदान में है. निर्दलीय उम्मीदवार और छोटे दल त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं.
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इस बार चुनाव आयोग के अनुसार मैदान में 1051 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं. यानी की प्रति सीट के हिसाब से 11.7 प्रत्याशी. इसमें औसतन 7 निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार हर सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
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आम आदमी पार्टी की बात करें तो दिल्ली मॉडल के आधार पर आप हरियाणा में कुछ सीटों पर जीत की उम्मीद लग रही है. एक ओर भाजपा को यह भी उम्मीद है कि इनेलो-बसपा और जेजेपी-एएसपी का गठबंधन विपक्षी दलों के वोटों को विभाजित करने में अहम भूमिका निभाएगा.
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2009 की बात करें तो इनेलो और कांग्रेस के बीच 48 सीटों पर मुकाबला था, जिसका विधानसभा चुनाव में आधे से अधिक सीटों पर असर था. वहीं 2014 में भाजपा और इनेलो के बीच 37 सीटों पर और कांग्रेस भाजपा के बीच 18 सीटों पर तो वहीं कांग्रेस और इनेलो के बीच 12 सीटों पर मुकाबला देखने को मिला था. 2019 में भाजपा कांग्रेस के बीच 51 सीटों पर प्रमुख मुकाबला देखने को मिला था तो वहीं भाजपा और जननायक जनता पार्टी 16 अन्य सीटों पर मुख्य दावेदार भी थे.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में छोटे दल और अन्य निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अहम भूमिका निभाते हैं. 2009 के चुनाव में इन प्रत्याशियों ने 30 फीसदी वोट शेयर के साथ 15 विधानसभा सीटें जीती थी. 2019 में यह वोट शेयर घटकर 18 फीसदी हो गया और सीटों की संख्या भी आठ रह गई. इसके बावजूद भी विधानसभा में इनका प्रभाव 50 फीसदी सीटों पर बना रहा.
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इनेलो और बसपा की बात करें तो वह जाट और दलित समुदाय को अपने पक्ष में लाने की कोशिशें में लगा है. जननायक जनता पार्टी को 2019 में मिली 10 सीटों और 15 फीसदी वोट शेयर को बरकरार रखने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि जेजेपी और भाजपा के गठबंधन के बीच मनमुटाव हो रहा है.
Published at : 29 Sep 2024 03:17 PM (IST)
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion