कैसे होता है लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव? मोदी 3.0 के लिए क्यों जरूरी है ये पद; यहां जानें
भारत की 18वीं लोकसभा 26 जून को अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी. अगला लोकसभा अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर अटकलें लगातार जारी है. भारत के विपक्षी नेताओं ने यह कहा है कि बीजेपी को अपने सहयोगी दल में से किसी को अध्यक्ष बनना चाहिए. इस बार अध्यक्ष का पद क्यों महत्वपूर्ण है इसके बारे में आपको बताते हैं.
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View In Appपिछले दो सरकारों से विपरीत भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से इस बार अपने सहयोगियों पर निर्भर है. लोकसभा चुनाव में भाजपा की 240 सीटें आई, यानी कि बहुमत के आंकड़े से 32 सीटें कम. आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और बिहार के नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड भाजपा की सहयोगी दल है और नेतृत्व की सरकार में प्रमुख हितधारक बनकर उठी है.
टीडीपी नेताओं का कहना है कि लोकसभा के उम्मीदवार का फैसला एनडीए के सहयोगियों द्वारा संयुक्त रूप से लिया जाना चाहिए तो वहीं जेडीयू नेता के सी त्यागी ने यह कहा है कि जनता दल यूनाइटेड, भाजपा द्वारा नामित उम्मीदवार का समर्थन कर सकती हैं.
अब आपको बताते हैं कि कैसे होता है लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव. अध्यक्ष के चुनाव के नियम संविधान के अनुच्छेद 93 में निर्धारित किए गए हैं. वही अध्यक्ष पद नई लोकसभा की पहली बैठक से थी पहले खाली होता है. प्रक्रिया के अनुसार संसद सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रपति नवनिर्वाचित सांसदों को उनके पद की शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करते हैं. लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव बड़े ही सिंपल बहुमत से होता है. यानी कि सदन में मौजूद आधे से ज्यादा सदस्यों को लोकसभा के अध्यक्ष बनने के लिए किसी खास उम्मीदवार को वोट करना होता है.
बात करते हैं लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों की तो बता दें कि यह पद बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वह सदन चलाने के लिए जिम्मेदार होता है. लोकसभा स्पीकर संसदीय बैठकों के लिए एजेंडा भी तय करते हैं और स्थगन तथा अविश्वास प्रस्ताव जैसे प्रस्तावों को भी अनुमति देते हैं. सदन में किसी नियम को लेकर अगर कोई विवाद होता है तो अध्यक्ष इन नियमों की व्याख्या करते हैं और उन्हें लागू भी करते हैं, जिसको चुनौती नहीं दी जा सकती. क्योंकि सदन में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सदस्य होते हैं, इसीलिए अध्यक्ष की कुर्सी गैर पक्षपाती होनी चाहिए.
बता दें की लोकसभा अध्यक्ष के पास संविधान की 10 वी अनुसूची के तहत अनियंत्रित व्यवहार को दंडित और दलबदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराने का भी पूरा अधिकार होता है.
इन सब के बीच कुछ रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि ओम बिड़ला लोकसभा अध्यक्ष बने रहेंगे. इन नामों में आंध्र प्रदेश की भाजपा अध्यक्ष एनटी रामा राव की बेटी दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का भी नाम आगे है.
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