एक्सप्लोरर
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: अब निर्दलीय उम्मीदवारों को सपोर्ट करेगा जमात-ए-इस्लामी, घाटी के इन क्षेत्रों में है दबदबा
J&K elections 2024: जमात-ए-इस्लामी पहले चुनावों को बहिष्कार करता था और अब निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन की बात कह रहा है, जिससे चुनावी परिदृश्य पर असर पड़ सकता है.

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां जोरों शोरों से जुटी हुई है. इस बीच प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करने का फैसला किया है.
1/5

हाल ही में पुलवामा में एक चुनावी बैठक करने वाले जमात-ए-इस्लामी ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम, पुलवामा, देवसर और जैनापोरा निर्वाचन क्षेत्रों में चार निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करने का फैसला किया है.
2/5

90 सीट वाले जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए तीन चरणों 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होंगे और 8 अक्टूबर 2024 को नतीजे घोषित किए जाएंगे. जेईआई दूसरे और तीसरे चरण में कुछ उम्मीदवारों का समर्थन करेगा. गृह मंत्रालय ने साल 2019 में कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और आतंकवाद से संबंध को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधियनियम (UAPA) के तहत जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया, जिस वजह से यह पार्टी अब आधिकारिक तौर पर चुनावों में भाग नहीं ले सकती है. इस साल की शुरुआत में जेईआई पर लगे प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था.
3/5

जम्मू कश्मीर से 2019 में अनुच्छेद-370 निरस्त करने के बाद केंद्र सरकार ने जेईआई पर कार्रवाई की थी. उस समय जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को गिरफ्तार किया था और संपत्तियां जब्त की थी. इससे पार्टी के संचालन पर असर पड़ा था. जमात-ए-इस्लमी पर कश्मीर में अलगाववाद का समर्थन के साथ-साथ सशस्त्र बलों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन को समर्थन करने का आरोप है.
4/5

जमात-ए-इस्लामी अब प्रॉक्सी के माध्यम से उम्मीदवारों का समर्थन कर रहा है. हालांकि, जमात के पूर्व नेता गुलाम कादिर वानी ने इस बात से इनकार किया कि संगठन चुनावों का विरोध करता है. उन्होंने कहा कि हम अपने उम्मीदवारों का समर्थन करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे लोगों के मुद्दों को संबोधित करेंगे.
5/5

उत्तरी और दक्षिणी कश्मीर जमात-ए-इस्लामी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में निर्दलीय कैंडिडेट को समर्थन करने के ऐलान के बाद मतदान फीसदी पर काफी असर पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि इस संगठन के कैडर जो पहले वोटिंग का बहिष्कार करते थे, अब भारी संख्या में वोट डालने आ सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय पार्टियों की जीत की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.
Published at : 04 Sep 2024 07:57 PM (IST)
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
शिक्षा
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
छत्तीसगढ़
Advertisement


डॉ आस्था आहूजाएसोसिएट प्रोफेसर, आर्यभट्ट कॉलेज
Opinion