J&K Elections: जम्मू कश्मीर BJP के लिए क्यों है अग्निपरीक्षा! NC के लिए गढ़ बचाना चैलेंज
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग जारी है. इस चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है, जिसमें 239 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं. 26 में से 11 सीटें जम्मू संभाग की है तो वहीं 15 सीटें कश्मीर रीजन की. यह चरण इसलिए भी खास है क्योंकि भाजपा की सरकार बनाने की उम्मीदें जम्मू क्षेत्र पर ही निर्भर है तो वहीं नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की पूरी उम्मीद है कश्मीर से जुड़ी हुई है.
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View In Appजम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के लिए इम्तिहान का समय है. एक ओर भाजपा को अपना पुराना प्रदर्शन बरकरार रखना है तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अपनी दोनों सीटों के साथ साथ अपने घर को भी बचाना है.
इस चरण में महबूबा मुफ्ती की नेतृत्व वाली पीडीपी सबसे ज्यादा यानी की कुल 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. नेशनल कांफ्रेंस 20 सीटों पर, कांग्रेस 6 सीटों पर, भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन इस चरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 89 निर्दलीय प्रत्याशी इस चरण में ताल ठोक रहे हैं. उमर अब्दुल्ला को हराकर सांसद बने इंजीनियर राशिद की पार्टी के उम्मीदवार भी चुनाव में उतरे हैं. वही आपकी पार्टी के अल्ताफ बुखारी का आधार भी यही क्षेत्र है.
उमर अब्दुल्ला 2 सीटों यानी की गांदरबल और बडगाम से चुनाव लड़ रहे हैं. भले ही भाजपा ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतरा है, लेकिन अन्य दलों ने अपने उम्मीदवार उतार कर उमर अब्दुल्ला की टेंशन को और भी ज्यादा हाई कर दिया है. बडगाम सीट पर उमर अब्दुल्ला को पीडीपी कैंडिडेट से टक्कर मिल रही है. गांदरवाल सीट पर इंजीनियर रशीद का उम्मीदवार ताल ठोक रहा है.
कश्मीर संभाग की यह 15 सीटें अब्दुल्ला परिवार का गढ़ है, जहां 2014 के विधानसभा चुनाव में 15 में से 7 सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस ने जीत दर्ज की थी. चार सीटें पीडीपी के खाते में गई थी, दो कांग्रेस के और एक-एक सीट बीजेपी और अन्य के खाते में आई थी. श्रीनगर, बडगाम और गांदेरबल यह तीन सीटें जीतकर हमेशा से अब्दुल्ला परिवार सत्ता पर कब्जा जमाता आया है, लेकिन आर्टिकल 370 के समाप्त होने और परिसीमन के बाद राजनीतिक तस्वीर तो जैसे बादल ही गई है. लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को राशिद इंजीनियर से हार का सामना करना पड़ा था.
भाजपा की बात करें तो दूसरा चरण पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा के जैसा ही है. 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू संभाग की इन 11 में से 9 सीटों पर भाजपा ने झंडे गाड़े थे तो वही एक सीट कांग्रेस को मिली थी. इस बार भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी जम्मू संभाग में जोरदार प्रचार किया है. कहां जा रहा है कि बीजेपी के लिए 2014 की तरह इस बार माहौल नहीं बन पाया है. बीजेपी के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष की नौसेहरा सीट और माता वैष्णो देवी कटरा सीट पर जीतने का बड़ा चैलेंज है
अब तक जम्मू कश्मीर के जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, उसमें ऐसा पहली बार हो रहा है कि इतनी ज्यादा संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. यह निर्दलीय प्रत्याशी अच्छे-अच्छे राजनीतिक दलों का खेल खराब कर सकते हैं. इन उम्मीदवारों में जमाते इस्लामी और अलगाववादी नेता है. इन उम्मीदवारों के चलते कांग्रेस और पीडीपी टेंशन मानों बढ़ गई है.
कश्मीर घाटी की ज्यादातर सीटों पर शुरुआती दो चरणों में चुनाव हुए हैं, जिससे एक बात साफ है की सत्ता का फैसला लगभग तय हो गया है. पहले चरण में पीडीपी का गढ़ रही दक्षिण कश्मीर की सीट थी तो वहीं दूसरे फेस में कश्मीर सेंट्रल की सीट हैं. पहले चरण में जिन 24 सीटों पर चुनाव हुए थे 2014 में पीडीपी ने उनमें से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी. दूसरे चरण की 26 सीटों में से पिछले चुनाव में आठ सीटें नेशनल कांफ्रेंस ने जीती थी तो वहीं 9 सीटें भाजपा ने.
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