JK Elections: अंतिम चरण में ये बड़े चेहरे, इंजीनियर राशिद-अफजल गुरु का भाई भी आजमा रहा किस्मत; जानें फाइटिंग फैक्टर
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव का आज तीसरा और अंतिम चरण जारी है. इस चरण में 40 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं जहां पर कई बड़े कद्दावर नेता अपनी किस्मत आसमान रहे हैं. इसी के साथ यह भी जानेंगे कि यहां पर फाइटिंग फैक्टर क्या है.
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View In Appअंतिम चरण के मैदान में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद के भाई भी मैदान में उतरे हैं. अफजल गुरु के भाई एजाज गुरु सोपोर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार है. जिनका मुद्दा है कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले. लंगेट विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे खुर्शीद अहमद शेख जो बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर रशीद के भाई है. इनका मुकाबला कुपवाड़ा के मौजूदा डीसी अध्यक्ष इरफान पंडितपोरी से है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पीडीपी के संस्थापकों में से एक मुजफ्फर हुसैन बेग बारामुला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इनका मुकाबला अपने ही भतीजे जावेद बेग के साथ हो रहा है. वहीं कुपवाड़ा और हंदवाड़ा विधानसभा सीट से पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन मैदान में उतरे हैं. मुफ्ती सरकार में यह बीजेपी के कोटे से मंत्री भी रहे हैं. इनका मुकाबला बीजेपी के गुलाम मुहम्मद मीर, NC के मोहम्मद रमजान और पीडीपी के गौहर आजाद मीर और अवामी इत्तेहाद पार्टी के अब्दुल मजीद से होगा.
नगरोटा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे बिजनेसमैन से नेता बने देवेंद्र सिंह राणा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई हैं. वैसे तो यह भाजपा की सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के बड़े नेता और उमर अब्दुल्ला के करीबियों में गिने जाते थे. इन्होंने 2021 में भाजपा ज्वाइन कर ली थी.
जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े चेहरे में गिने जाने वाले 61 वर्षीय ताराचंद कई बार विधानसभा चुनाव में अपनी जीते दर्ज कर चुके हैं, लेकिन 2014 में यह बीजेपी के डॉक्टर कृष्ण लाल से हार गए थे. इस बार उनका मुकाबला भाजपा के राजीव शर्मा और निर्दलीय प्रत्याशी सतीश शर्मा से है.
जम्मू कश्मीर चुनाव के तीसरे चरण में कई बड़े चेहरे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कई ऐसे नेता हैं जो बड़ी पार्टियों के बड़े चेहरे रहे हैं, लेकिन अब पार्टी छोड़कर या तो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं या तो दूसरी पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं.
अंतिम चरण में 26 सीटें हिंदू बाहुल्य इलाकों की हैं. यहां पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच टफ फाइट है. राज्य में सरकार बनाने में इन सीटों का खास रोल होगा. कांग्रेस जीतती है तो नेशनल कांफ्रेंस के साथ सरकार बना लेगी वहीं बीजेपी जीतती है तो अपना 2014 का प्रदर्शन दोहरा देगी
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